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राजनीति अउ धरम

locationरायपुरPublished: Mar 13, 2019 07:18:34 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बिचार

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राजनीति अउ धरम

भारत भुइंया ह संत-मुनि के करम भूमि आय। सच्चा अउ धरम परायन साधु-महात्मा के काम, करोध, लोभ, मोह ल तियाग के बढिय़ा समाज बनाय के उद्देस्य होथे। लोगनमन बाबामन के परवचन सुन के सरद्धा अउ बिसवास के संग वोकर बताय सतमारग म चल परथें। वोमन समे-समे म हमर समाज ल सभ्य अउ सुसंस्करित बनाय म करांतिकारी योगदान दे हे। स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती के बिचार ल आजो लोगनमन अपन करम छेत्र के एक हिस्सा मानथें।
फेर, अब के कतकोन साधु-संत, बाबामन राजनीतिक संरछन के चलत अब्बड़ फलत-फूलत हावंय। कोनो संत ल जब राजनीति करे म चस्का लग गे त वोला संत के चोला ल उतार देय बर चाही। भगवा कपड़ा अउ तिलक लगाके मनमाड़े पइसा कमइया ढोंगी बाबामन बड़े-बड़े राजनीति पद म बइठ जथें। अइसनमन के बात ल आंखू मूंद के नइ माने बर चाही। लोगनमन ल सोच-बिचार के काम ले बर चाही।
संत वोहा आय जेन ल सत के गियान होगे हवय। जुन्ना समे म संत नामदेव, रामानंद जइसे गियानीमन भक्ति मारग म चलके दुनिया म गियान के अलख ल जगाइन। तेकर बाद म तुलसीदास, कबीरदास, सुरदास, नानक, तुकाराम दाउ अउ मीराबाई जइसे संत-महात्मामन हमर समाज ल नवा-नवा दिसा बताइस। आजो जब हमन अगियानता के गुफा म भटक जथन तब इही महात्मामन के बानी जेन अभी कथा साहित्य के रूप म हवय ल पढ़ के नवा रद्दा ल अपनाथन।
‘अइसे लगथे मानो लीम के पेड़ म करेला ह चघगे। अब के ढोंगी संत, बाबामन भगती मारग के रद्दा ल बताके लोगन के आस्था से खिलवाड़ करके राजनीतिक दल म खुसरके बहती गंगा म हाथ ल धोय म आगू हवंय। राजनीति से हटके गियान देवई ह संत होय के पहिली सीढ़़ी होथे।
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