scriptसमाजिक बहिस्कार कतिक बने हे | chattisgarhi sahitya | Patrika News

समाजिक बहिस्कार कतिक बने हे

locationरायपुरPublished: Apr 03, 2019 04:45:34 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बिचार

cg news

समाजिक बहिस्कार कतिक बने हे

बिसाहू के बेटी ह दूसर जात के टूरा संग बिहाव कर लीस अउ गांव छोड़के सहर चलदिस। जेकर सेती समाज ह बिसाहू ल समाज ले बाहिर (बहिस्करीत) कर दिस। बिसाहू के एकझन अउ बेटी हे, जेन ह बिहाव करे के लइक होगे हे। वोकर बहू के पांव भारी हे। बिसाहू ल फिकर धर लिस के बेटी के बिहाव कइसे होही। बहू के छट्ठी-बरही ल बिना सगा के कइसे करहूं।
अइसने कतकोझन संग होथे। ‘करे कोन, भरे कोन।Ó बेटी-बेटा के सेती होय या झगरा-झंझट। समाज ल तो बीच म बोले के अधिकार हवय। फेर, सगा -समाज ह कठोरता अउ निरदयता के संग अपन गोठ ल थोपथे। इही ह बने नोहय। कोनो मनखे ह बिना समाज के रेहे नइ सकय। मनखे ले समाज बनथे। समाज ह मनखे ल नइ बनाय। एकझन के सेती जम्मो परिवार ल भुगते बर परथे। कोनो दाई-ददा अउ परिवार ह नइ चाहय के वोकर बेटी-बेटा बिगड़े। बखत ह का ले का करा देथे।
आज हमन दूसर ल हांसथन। काली हमर संग वोइसने होही त कइसे करबो। बढ़-चढ़कर के समाज म बोले ले अउ दांड तय करे के पहिली आगू-पाछू ल सोच-बिचार के फइसला करे बर चाही। सबले बड़े समसिया पीडि़त मनखे के आरथिक हालत होथे। कतकोन मनखे दांड सहे के लाइक नइ रहंय। अइसन म जम्मो डहर ले हतास-निरास होके आत्महत्या घलो कर लेथें। ऐकर ले जम्मो परिवार बिखर जथे, तहस-नहस हो जथे।
सरकार ल ऐकर बर नियम-कानून बनाय बर चाही। समाज अउ कानून दूनों के समन्वय से नियांव होय बर चाही। ऐकर दुख-पीरा का होथे तेन ल समाज ले बहिस्करीत मनखे अउ वोकर परिवारेच ह बता सकथे। ककरो जिनगी ले खेले के, बरबाद करे के अधिकार समाज ल नइये। सभा, बइठका म पीडि़त डहर बोलइया ल घलो समाज के निकाल देथें। धन-दउलत वालेमन दांड भर के छुटकारा पा लेथें। फेर, मरना तो गरीबहा परिवारमन के होथे।
सबो समाज ल अच्छाई के मिसाल कायम करे बर चाही। जब समाजेच ह बने नइ रइही त मनखे कहां ले बने रइही!
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो