बिलासपुर के गौरव पद्मसिरी अनुप रंजन
रायपुरPublished: Apr 16, 2019 05:14:27 pm
लोककला
बिलासपुर के गौरव पद्मसिरी अनुप रंजन
स त्यदेव दुबे जेन बम्बई गिस तब परसिद्ध होइस। डॉ. संकर सेस जेन भोपाल अउ दिल्ली डहर गिस तब परसिद्ध होइस अउ सिरीकांत वरमा ह जब दिल्ली जाकर राजनीति म परवेस करीन तब परसिद्ध होइस। फेर, बिलासपुर के पंडित स्यामलाल चतुर्वेदी अउ अनुप रंजन पांडेय अइसन गौरवसाली मनखे हें जेमन बिलासपुर (छत्तीसगढ़) म रहिके काम करीन अउ परसिद्ध होइन।
सन् 2019 म 26 जनवरी के दिन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के रहवइया अनुप रंजन पांडेय ल परसिद्ध पंडवानी गायिका तीजनबाई के संग पद्मसिरी सम्मान रास्टरपति रामनाथ कोविद ह अपन हाथ से देइस। अनुप रंजन के बारे म बताय के पहली मेहा वोकर सुरुआती जीवन के बारे म बतावत हंव।
बिलासपुर के विद्यानगर कॉलोनी म वोकर घर हे। बिलासपुर ले 32 किलोमीटर दूरिहा जांजगीर-चांपा के कोसा गांव ह वोकर पुरखोती गांव ए। अभी वोहा रायपुर के सेलटैक्स कॉलोनी खमारडीह संकर नगर कॉलोनी म रइथे। अनुप रंजन के जन्म ह 21 जुलाई 1965 को बिलासपुर में होइस। वोकर महतारी के नांव मनोरमा पांडेय अउ ददा के बिलासपुर के गौरव पद्मसिरी अनुप रंजननांव स्व. राधेस्याम पांडेय हे। अनुप के सुवारी के नांव असमीता पांडेय अउ बेटी के नांव अनन्या पांडेय हे। अनुप के इस्कूली सिक्छा बिलासपुर के रेलवे स्कूल म होइस। स्कूल म पढ़त समे वोकर रुचि संगीत म रिहिस। सी.एम.डी. कॉलेज ले बीए करीस अउ खैरागढ़ इंदिरा संगीत विस्वविद्यालय से लोक संगीत म पी.एच.डी. करीस। अनुप ह रेलवे नाट्य परतियोगता म भाग लेत रहीस। अपन टीम बनाकर वादयंत्रमन के परदसन करत रहीस। राज्यसासन के द्वारा दाऊ मंदिरा पुरस्कार ले घलो वोहा सम्मानित होय हे। अहिल्या बाई उस्ताद बिस्मिल्हा खान सम्मान घलो मिले हे।
समे भागत रहिथे ऐकर संग कईठिन जिनिस नदावत जावत हे। वोमा बस्तर के आदिवासीमन के परम्परागत बाजा घलो हे। अब आदिवासी समाज अपन परंपरागत परिवेस ल नइ बचा सकत हे। ऐकर सेती वोकरमन के कला अउ संस्करीति ह कइसे बांचही ए चिंता के बात ए। तब हबीब तनबीर से प्रेरना पाके अनुप ह बस्तर छेत्र के विभिन्न जनजाति समुदाय के कलाकारमन ल इक_ा करीस। बस्तर म आदिवासीमन लिंगो देवो ल अपन संगीत के गुरु मानथे। इही सेती अनुप ब बस्तर बेंड संस्था बनाकर मुरिया, दंडामी, मारिया, धु्ररवा, दोरला, मुंडा, महरा, गदबा, मिरगीन, हलबा अउ अन्य परंपरागत बजाय के यंत्र साधन ल एक समूह के रूप म आला गान के द्वारा परस्तुत करीस। बस्तर बेंड म फूंक के बजाय वाले सुधिर वाद्य हे, त ताप ले बजिया पेंडुल, ढोल, तिरडुडी, जराड, तोड़ी, मोहिर देव, नंगुरा, तुरगुड़ी, दंडारढोल, सारंगी, सियाड़ी बाजा, गोंगा ढोल आदि घलो हे। बस्तर बेंड के जरिये अनुप ह बस्तर छे्रत्र के वाद्य यंत्र, ध्वनि, लोकाचार, नृत्य परस्तुत करथे। अनुप करा 200 ले जादा बाजा हे। बस्तर बेंड के परस्तुति हमार देस के अलावा, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, हालैंड, इटली, साउथ ईस्ट एसिया अउ साउथ अफीका म घलो होय हे।