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चइत नवरातरी म भराथे संतोषी मेला

locationरायपुरPublished: Apr 16, 2019 05:27:10 pm

Submitted by:

Gulal Verma

सिवनी (नैला) के मेला

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चइत नवरातरी म भराथे संतोषी मेला

छत्तीसगढ़ म मेला ह हमर समाज संस्करीति म रचे-बसे हावय। जेकर सेती ऐकर हमर जिनगी म बहुतेच महत्तम हे। माघी पून्नी ले जम्मो छत्तीसगढ़ म मेला भराये के सुरू हो जाथे। चाहे वोहा राजिम के मेला हो, चाहे सिवरीनारायन के मेला, चाहे कोरबा के कंनकी मेला, चाहे कौडिय़ा (सीपत) के मेला, चाहे पीथमपुर (चांपा), चाहे सिवनी (नैला) जांजगीर के संतोसी मेला होवय।
मेला के मतलब मेला-मिलाप के एक माध्यम हावय। काबर के मेला बर गांव के छोटे से छोटे किसान से ले के बड़का किसानमन तक अपन बेटीमन ल, अपन सगे-संबंधीमन ल मेला बर लेहे-नेवते जाथे। अउ एक तरह से मेला ह छोटे-बड़े के भेद-भाव घलो ल मिटाय के सुग्घर माघ्यम हावय। मेला एक बछर म एकेच बार लगथे। एकर सेती एकर अउ जादा महत्तम हावय।
छत्तीसगढ़ म मेला उहें लगथे जिहां देवता विराजित हे। तीन दिन के मेला होवय, चाहे पांच दिन के, चाहे नव दिन के। ए सब मेला म सिवनी (नैला) के संतोसी मेला के अलगेच जगा हावय। सायद पूरा छत्तीसगढ़ म
ए मेला ह अपन अलग रूप म पहिचाने जाथे। काबर के ए मेला ह चइत नवरातरी से सुरू हो के नवमीं तक रइथे। माता संतोसी के विधि-विधान से पूजा-पाठ करे जाथे। मेला म लोगनमन माता के दरसन के बाद घूमे जाथे। अपन-अपन जरूरत के हिसाब से सामान घलो लेथे। लोगनमन सादी-बिहाव के खरीदारी घलो इहां ले करथे। आनी-बानी के खाये के जिनिस जेमा छत्तीसगढ़ के परसिध उखरा-चना के संगे-संग चना चरपटी खाय के अगलेच मजा हावय। ऐकर संग झूला अउ टूरिंग टाकिज घलो मनोरंजन के साधन रहिथे।
जिला मुख्यालय जांजगीर-चांपा ले मात्र 6 कि.मी. दूरिहा म नैला-बलउदा रद्दा के बीच म परथे मां संतोसी के धाम सिवनी (नैला) ह। हिंदू नव बछर चइत नवरातरी ्र म मोर जानत म छत्तीसगढ़ भर म केवल इहें के संतोसी मंदिर म नव दिन तक जोत जलथे अउ मेला घलो भराथे। कुआंर नवरातरी म घलो जोत जलथे। मॉं संतोसी के परति मनखेमन के मन म अपार आस्था हावय। तभे तो इहां दूरिहा-दूरिहा ले मनखेमन अपन मनोकामना ले के आथें अउ वोमन के मनोकामना मां ह जरूर पूरा करथे मां संतोसी ह। भक्तमन भुइंया नापत इहां पहुंचथें। पीछू पैतालीस बछर ले इहां मेला भरात आवत हे। मंदिर के भीतर म मां संतोसी के मूरति हावय। वोकर चारो मुड़ा म नव दुरगा के मूरति घलो स्थापित हे। मंदिर के दुआरी म बजरंगबली के मूरति हे। मंदिर के आगू म बड़ेकजनिक कालभैरवजी के मूरति हावय।
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