scriptकुकुर के तेरही | chattisgarhi sahitya | Patrika News

कुकुर के तेरही

locationरायपुरPublished: Apr 26, 2019 05:14:22 pm

Submitted by:

Gulal Verma

कहिनी

cg news

कुकुर के तेरही

ररुहा महराज गांव के पैडगरी ला छोड़ के डामर सड़क म आके खड़े होगे। बिहिन्चे के आठ बजे हे बदली कुड़कुड़ात जाड़ म सूरज देवता के अता-पता नइ दिखत हे। आज उरला वाले यजमान नवां दुकान के ओपनिंग बर न्यौता दे रिहिस। वोकरे सेती आटो-जीप अगोरत खड़े होगे। थोरकुन देर बाद कचकच ले भरे टेम्पो आ गे! बने होइस चार सवारी उतरगे। खाली सीट म ररुहा बइठगे! 12 बजे उरला पहुंचगे।
उरला सिव मंदिर तिरन माधो निसाद के नवा किराना दुकान के पता कोनो नइ बताइस। ररुहा महराज भूख से कलहरत कुआं पार म बइठ गे। तभे एकझन सियान पूछिस-का नाव बताये। ररुहा कहिस- माधो निसद उरला गांव, सिव मंदिर! महंू ढीमरा हौं वो माधो चरोदा के उरला म रहिथे इहां ले छावनी होवत चरोदा टेम्पो पकड़ के उरला जा सकत हस। चल पानी पी ले। ररुहा पानी पीके रेंगत छावनी चौक बर निकलगे। पानी पीये के बाद भूख टलगे। कदम बढ़ते देखिस दू किलोमीटर बाद आठ दस मनखे हाथ जोड़ के राम-राम कहि। ररुहा राम-राम कहिके रुक गे। महराजजी भंडारा म खिचड़ी बांटे बर हे। आपमन पूजा करके भोग लगा दव। सबले पहिली परसाद पा लव। बड़ मेहरबानी होही।
ररुहा महराज तुरंत हाथ धोके हूम देके पूजा कर दिस। चार आदमी दौउड़ के चद्दर, पिड़हा मड़ा के गरम गरम खिचड़ी, कढ़ी, पताल-मिरचा के चटनी, कटोरी भर के असली घी परोस दिस। सबो पांव पर के खाये बर हाथ जोड़ के खड़े होगे। ररुहा भूखाय रहाय। गरमागरम खिचडी झड़के लगिस। खाये के बाद मीठा पान मिलगे। सेठजी गल्ला म बइठे रहाय। खड़े होके महराज ल गद्दी म बिठाके टीका लगाइस। धोती, कुरता, पंछा कपड़ा अउ रुपिया दान देके पांव परिस! ररुहा महराज आशीरवाद देके बइठ गे। आगू पंडाल म भीड़ लगे रहाय। बहुतझन बइठके खावत रिहिन। बाकी भीड़ अपन-अपन घर ले गंजी कटोरा लेके झोकत रिहिन। ररुहा ऊहापोह सोचत रिहिस। काबर भंडारा करे होही, कोन बताही? एकझन मुंसी ला पूछिस- काबर भंडारा होवत हे?
मुंसी कहिस छोड़ो ना महराज आप आसीरवाद दो। आसीरवाद तो हे, तभो ले बता दे। महराज ए हमर सेठ के ईमानदार सेर रिहिस। वोकर आज तेरही हे। ‘सेर के तेरहीÓ। महराज कहिस – सेर कहां रिहिस? मुंसी बताइस- कुकुर के नाव सेर रहिस। वोकर मर्डर होगे। आज तेरही हे। ररुहा महराज के बिचार बदल गे। मेहा ुपहिली पइत कुकुर के तेरही बर पूजा करे हौं, भोजन करे हौ, कपड़ा झोके हौं। पेट भर खाय के बाद अब दुनियाभर के सोचे लगिस। रुपिया के लिफाफा खोल के देखिस पांच हजार एक सौ एक नवा नोट भरे रहाय। अब तो हक्का-बक्का होगे। मुंसी खिचड़ी खाय बर चलदिस। अंदर सेठ खा-पी के ढलगे रहाय।
ररुहा महराज पांच हजार के वजन म दबके इन्हें रुकगे। दूसर नौकर आइस। महराज वोला पूछिस- सेर के मर्डर कइसे होइस। वो नौकर बताइस, तेरह दिन पहिली जाड़ के रात म ए दुकान म डाकू खुसरगे। तिजोरी ले जवइया रिहिस त सेर जाग गे। भूंके लगिस। बस्ती वालमने उठ गे। डाकूमन तिजोरी छोड़ के भाग गे। जावत जावत सेर ल गोली मार दिस, वोहा मरगे।
ररुहा भरपेट के बाद सातिर दिमाग ले सोचे लगिस। सेठ अपन बेटा असन मया करत रिहिस सेर कुकुर ला। जावत-जावत एक पासा अउ फेंके जाय। हो सकत हे कुछ अउ रुपिया कमा लुहुं। ररुहा उही नौकर ला पूछिस – सेर कहां बंधावय, कहां रहाय, का खावत रिहिस, कइसन दिखत रिहिस। नौकर बतादिस। ररुहा सेर के बंधाय जगा म चद्दर बिछाके, आंखी मूंदे, धियान लगाय असन बइठगे। सेठ जाग के देखिस सेर के ठिया म पंडित जाप करत हे। सेठ चुपचाप देखे लगिस। ररुहा आंखी मंूदे-मूंदे बड़बड़ाय लगिस। सेर सांत हो, तोर सांति बर परयागराज जाहंू। कुंभ स्नान करहूं। ररुहा महराज कहिस अच्छा सेठजी चलत हंव। सेर के आत्मा के सांति बर मोला परयागराज कुंभ मेला जाय बर हे।
मुंसी अउ नौकर दूनों खिचड़ी बांटे म लगे रहाय। सेठ पूछिस महराजजी आप का कहत हो फोर-फोर सुनाव। ररुहा कहिस – मेहा वो कोन्टा म बइठेव त बड़ सांति मिलिस। नींद लगगे। सपना म देखेंव एक कुकुर सादा झब्बू बाल वाला मनखे के आवाज म कहिस- मोर नाव सेर हे। वो इतवार के रात बिहार के डाकू ए दुकान के तारा तोड़ के तिजोरी लूट के जावत रिहिन। पाराभर ला जगा के डाकूमन ला भगा देव। वोमन जावत-जावत गोली मार के हत्या कर दीन। मोर आत्मा भटक-भटक के रोवत हे। आपमन मोला मुक्ति दव।
मेहा सेर ल सपना म कहे हंव के तोर आत्मा के सांति बर गंगा स्नान करहूं अउ मोर नींद खुलगे। सेठजी सेर कोन हे। कब के घटना हे। मेहा एकझन जजमान ला खोजत खोजत पहिली पइत ए गांव आय हंव। सेठजी पूरा भावना म बहगे। पंडित के पांव पड़लिस। महराजजी परयागराज बर कतेक खरचा लगही। ररुहा कहिस- अवई-जवई, पूजा पाठ करई मिलाके अंदाजा पंदरा-बीस बीस हजार लग सकत हे। आप चिन्ता झन करव। मंय बाम्हन मांगत-मांगत चल दुहुं। सेर ला वचन दे हंव।
सेठ अपन जान, लाखों रुपिया के बचे के सेती दिल खोल के खरचा करे बर चाहत रिहिस। तुरते तिजोरी खोल के पंदरा हजार रुपिया दे दिस अउ कहिस- आप जब कुंभ ले वापिस आहूं त आपके स्वागत म भंडारा करबो, परसाद बांटबो। ररुहा आखरी दांव खेलिस। सेठजी आपसे निवेदन हे कि जइसे मेहा सपना के बात आप ला बतायेंव। आप अभी मोला रुपिया देय हव, ए बात को कोनो ल झन बताहू। हमर कुंभ के महत्व कम हो जही। हां उहां ले आय के बाद बता सकथव। मोला मोटर अड्डा तक छोड़वा दव।
सेठजी डराइवल ला बला के गाड़ी बिठा के आय के आदेस दे दिस। ररुहा महराज कलेचुप आसीरवाद देके कार म बैंठ गे। थोरकुन बाद मोटर अड्डा म उतरगे। डराइवल ला बिदा कर दिस अउ सोचे लगिस- बीस हजार कमा डरेव। माधो निसाद के घर जावत- जावत। कहां से कहां पहुंचगेंव। बस के अगोरा म चाय दुकान म चाय पीयेे बर गिस। सहर म धोती-कुरता पहिरे, तिलक लगाए अउ हाथ म मोटरा धरे ररुहा ला देख के कुकुर भूके लगिस। ररुहा दुकान से बिस्कुट के पाकिट लेके कुकुरमन ला बांटे लगिस। जेन बिस्कुट ला बिसाय बर खाये बर लुलवावत रिहिस। अभी दू चार पाकिट बांट दिस। वो जनमभर कुकुर देखके गुस्सावत रिहिस। अब वो मजा करे लगिस। वोहा सेर ला हाजिर नाजिर जान के कुकुरमन के लागमानी समझके खवाये लगिस। वोतके म बस आ गे। चाय वाले ला पचास रुपिया देके कहिस- बाकी रुपिया के बिस्कुट कुकुरमन ला खवा देबे। बस म बइठ के महाराज सोचे लगिस- कुकुर के तेरही म मोला सेठ ह तर कर दिस।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो