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तिहार के आनंद

locationरायपुरPublished: Apr 26, 2019 05:20:10 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बिचार

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तिहार के आनंद

छ त्तीसगढ़ म सबो तिहार बड़ उछाह-मंगल से मनाय जाथे। दूसर परदेस के लोगनमन ऐला देखथे त बक खा जथें। दूसर परदेस ले आके इहां खेती-किसानी करइया एकझन मनखे ह कहिस- इहां के लोगनमन ह तिहार मनाय बर अब्बड़ छुट्टी मारथें। हमर डहर तो अतेक तिहार नइ मानवंय।
मेहा कहेंव- भारत देस म छत्तीसगढ़ ल बरदान मिले हे सांत रेहे के। न बाढ़, न तूफान, न दंगा-फंसाद। सबले जादा सांत अउ भाईचारा इहें पाबे।
छत्तीसगढिय़ामन तिहार-बार ल अतेक बढिय़ा से मनाथें के बाहरी मनखेमन के मन ह घलो झूम जथे। तिहार मनाय ले भाईचारा बाढ़थे अउ भगवानमन म सरद्धा-भगती घलो बने रहिथे।
जगन्नाथ यातरा ले छत्तीसगढ़ म तिहार सुरू होथे अउ बर साबितरी परब के बाद म थोरिक समे मिलथे। ऐकर बीच म हरेली, नागपंचमी, बहुला चउथ, कमरछठ, आठे कन्हैया, पोरा, तीजा, गनेस चतुरथी, पितर पाख, नवरात, दसेरा, देवारी, सरद पूरनिमा, जेठौनी, महासिवरातरी, होरी, रंग पंचमी, फेर चइत नवरात ह आथे। चंदा अउ सुरूज गरहन घलो मनाय जाथे।
चार दिन के जिनगी ल लेके आय हन, का लेके जाबो। बने-बने रहिके परेम से जिनगी बिताय बर चाही। हंसी-खुसी मिलजुल के रहे के सेती छत्तीसगढ़ ह खुसहाल हे। इहां सगा-गोतर, पहुना ल देवता माने जाथे। ककरो दुवारी ले कोनो भूखन-पियासन नइ लहुटय।
फेर, सराब अउ नसा ले दूरिहा रहे बर चाही। ऐकर से घर-परिवार, समाज सबो खोखला होवत हे। मनखे बरबाद हो जथे। कतकोन मनखे बीमार पर जथें, कतकोन मर घलो जथे। सराब अउ नसाखोरी के सेती तिहारमन घलो बिगड़त जावत हे। ऐहा बढ दुख अउ चिंता-फिकर के बात आय। नवा सरकार ल अपन वादा के मुताबिक परदेसभर म चुम-चुम ले सराबबंदी करे बर चाही। इही म छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढिय़ामन के हित निहित हे।

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