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भले मनखेमन के राजनीति म जगा नइये!

locationरायपुरPublished: Apr 30, 2019 07:43:50 pm

Submitted by:

Gulal Verma

का-कहिबे…

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भले मनखेमन के राजनीति म जगा नइये!

दे स म लोकसभा चुनई के नगाड़ा बाज गे हे। सबो राजनीतिक दल के बड़े नेता मतदातामन के जोड़-तोड़ म लगे गे हें। कारयकरतामन म जोस भरे जावत हे। मतदातामन ल ललचाय, भरमाय, लुभाय के हर किसम के तिकड़म करत हें। फेर हमर देस के आम मनखे अब बहुतेच समझदार होगे हे। वोहा बढ़ बेरा म सहिच फेर अपन वोट के ताकत ल पहिचाने बर लग ले हे।
जिहां तक मुद्दा के बात हे, लोकसभा चुनई म देस के मुद्दामन आगू होथे। विधानसभा अउ लोकसभा के चुनई म अब्बड़ फरक होथे। विधानसभा चुनई म जीते दलमन लोकसभा चुनई म घलो जीत जही अइसे नइ कहे जा सकय। काबर के कतकोन चुनई म देखे गे हावय के जेन दल ह विधानसभा चुनई जीते रिहिस वोहा लोकसभा के चुनई म जीत नइ सकिस। कुलमिलाके चुनई के बाद कोन दल के का हाल होही, ऐला कोनो पक्का नइ बताय सकय।
उम्मीद अउ संभावना सदा नेतामन के संग नथाय रहिथे। वइसे ए तय रहिथे वोहा भरस्ट, बेईमान नेता हे। फेर, ए पक्का नइ रहय के वोहा भरस्ट-बेईमानेच रइही। का पता, कब वोला अकल आ जाय, वोकर दिमाग घूम जाय अउ वोहा भले मनखे, ईमानदार नेता बने बर धर लय। तेकर सेती आपमन अंदाजे होहू के बुरा मनखे कतकोन बुरा हो जाय, भला होय के उम्मीद वोमे बने रहिथे। हमन ल जउन किस्सा-कहिनी सुनाय जाथे। वोमे ए नइ बताय जावय के भले मनखे रिहिस, जउन ह बाद म भला नइ रहय। फेर, अइसे किस्सा-कहिनीमन के भरमार हे, जउन ए साबित करथें के बुराई करत-करत मनखे तंग आ सकथे अउ ‘टेस्टÓ (आदत) बदले के खातिर वोहा भला करे बर सुरू कर देथे। हमर देस म कतकोन नेता अइसे मिल जही जउनमन चुनई आइस तहां ले लोटा कस, गोलंइदा भाटा कस, ए दल ले वो दल म लुढ़कत रहिथें। एक दल ले निकाले बेईमान-भरस्ट नेता, दूसर दल म जाके ईमानदार अउ भला मानुस बन जथे।
हद तो ए हावय के ईमानदार नेता के नानकीन गलती ल लेके अब्बड़ सोर-सराबा मचाथें। लउठी लेके वोकर ‘आरतीÓ उतारे बर घलो दउड़ परथे। दूसर कोती बेईमान, भरस्ट नेता ह नानकीन भलई के काम करे के दिखाव भर करथें त वोकर जय-जयकार बोले बर धर लेथें। देवताकस घी के दीया बार के ‘आरतीÓ उतारथें।
आजकाल के लइकामन तो सियानमन के बात नइ मानंय। समझाथें त उल्टा जुबाव देथें। तेकर सेती सियानमन समझाय बर छोड़त हें। ‘जइसे करहीं- वइसे भरहीं, धोखा खाहीं- तभेच चेतहीं।Ó ऐहा कोने एक घर-परिवार के बाद नोहय, बल्कि सबो परिवार, समाज, राजनीतिक दल अउ सरकार के इही हाल हे।
जब आज के जमाना म सब उल्टा-पुल्टा चलत हे। राजनीति म ईमानदारमन ल टिकन नइ देवत हें। सुवारथी नेतामन ईमानदार नेतामन ल कोनटा म तिरिया देथें। राजनीति ल ‘काजर के कोठीÓ समझ के भले मनखेमन नेतागिरी नइ करंय। बेईमान, लबरा, अउ बड़बोलवामन के बोलबाला हे, त अउ का-कहिबे।
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