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रायपुर

पीपर तरी फुगड़ी फू

कहिनी

रायपुरMay 01, 2019 / 05:12 pm

Gulal Verma

cg news

पीपर तरी फुगड़ी फू

स मारू बबा ल लोकवा मारे तीन बछर होगे रिहिस। तीन बछर बाद जब समारू बबा ल अस्पताल ले गांव लानिस त बस्ती भीतर चउक म ठाड़े पीपर रूख के ठुडग़ा ल कटावत देख के सत्तर बछर के समारू के आंखी ले आंसू ढरक गे।
बबा के आंखी म आंसू देख के पूछेंव- का बात ए बबा? बबा ह भरे टोंटा ले कहिस- सुन रे बेटा, तैं जेन ए पीपर रूख ल देखत हस जेन ल सुखाय के बाद काटत हावंय तेन ल हमर बबा के बबा ह लगाय रिहिस। नानपन ले हमन एकर छइंहा म खेल-कूद के बाड़े हंन। ए रूख ह अपन हरियरपन म आठ कोरी सावन देखे हे। ए रुख ल आज कटावत देख के नानपन के जम्मो सुरता ह हरिया गे। कहिथे न कि सियानापन म नानपन के लहुटती होथे।
बबा ह आगू बतावत कहिस- मेहा नानपन म खेलकूद म अब्बड़ माहिर रहेंव। गिल्ली-डंडा, भौरा-बांटी, अटकन-भटकन, खो-खो, कबड्डी के तो बाते अलग रिहिस। इही पीपर के डारा ले तो मंगलू के टूरा बिसेसर ह डंडा-पिचरंगा खेलत खानी गिरे रिहिस। अब ए जम्मो खेल ल खेले के तो बहुत दूरिहा के बात आय, एकर नाव सुने बर घलो नइ मिलय। पहिली पारा भर के जम्मो लइकामन इही पीपर तरी एक जगा सकला के किसम-किसम के खेल खेलत रेहेंन। एक जगा सकला के खेले ले तो एक-दूसर से मया-पिरीत अउ चीन-पहिचान बढ़थे।
अब के लइकामन ह तो खेले के नाव म घर ले बाहिर निकलबे नइ करंय। बिचारामन ल तो खेले-कूदे के बेरा बखत कहां मिलथे। बिहनिया ले तो अपन बजन ले जादा गरु बेग ल खांद म लाद के इस्कूल गे रहिथें, तेन ह संझउती बेरा लहुटथें। एकात कन सुरताय के बेरा मिलथे तेन ल मोबाइल म वीडियो गेम खेल के पहा देथें। हमर जमाना म कहां गांव-गांव म इस्कूल रहय। फेर, हमन ल दाई-ददा अउ छोटे-बड़े के मान-गउन, आदर-सत्कार सीखोवंय। जेन आज कतको किताब रटे-रटेमन म चीटिको देखे बर नइ मिलय।
बबा कहिस – दिन भर कमावन, डपट के खावन अउ संझाकन कुदरावन। खेले-कूदे ले हाथ-गोड़ के बियाम घलो हो जाय। अब तो लइकामन ह मोबाइल म भुलाय रहिथें। जेकर फायदा कतकोझन अतलंगहामन ह उठाथें। ब्लू वेल जइसन जानलेवा खेल आगे हे। दिनभर मोबाइल म गड़े रहे ले आंखी घलो पतरा जाथे। बबा बताइस – इही पीपर तरी गांवभर के नोनीमन फुगड़ी खेलंय अउ हमन भौंरा-बांटी खेलन। अब तो न फुगड़ी बांचिस, न भौंरा-बांटी अउ न तो जादा रूख-राई। सब रूख-राई कटावत जात हे। जेकर ले अकाल-दुकाल परत हे। फुगड़ी जइसन कतकोन लोकखेलमन तो कब के फू होगे हे। धीरे-धीरे पेड़मन घलो फू होवत जावत हे।

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