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पंच परमेस्वर

locationरायपुरPublished: May 01, 2019 05:19:24 pm

Submitted by:

Gulal Verma

नानकीन किस्सा

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पंच परमेस्वर

बर रुख के तरी सियानमन नियाव करत रहंय। बुधारू हाथ जोड़ के खड़े रहय। सियानमन अपन निरनय सुनाइन- बुधारू के बेटा अनजात नोनी ल लाय हे। नोनी कतको सुग्घर अउ सुसील रहय, फेर समाज के मान ल राखे बर बुधारू ल दांड दे बर परही। आज बुधारू ल छोड़ देबो त काली मंगलू, सोमारु, रामसिंग न जाने कतकोनझन के बेटा अनजात के लड़की ल बिहा के लाही। बुधारु हाथ जोड़े बोलिस -गलती तो होय हे, बबा हो। एकेझन बेटा हे। आपमन बतावव का दांड दे बर परही। सियानमन बोलिन -गांवभर के सगामन ल पांच हजार रुपिया अउ एक पहर के भात खवाय बर परही। ऊपर के सगासमाज बर पांच हजार रुपिया घलो दे बर परही। बुधारू मुड़ी गड़ाय हव बोलिस अउ सजा ल मान लिस।
दू बछर बाद राजू पटवारी के बेटा सहर ले बिहाव करके आइस। बइठका होइस। सियानमन गोठ-बात करिन। पांच हजार दांड परिस। मंसाराम ह सियानमन के फइसला के बिरोध करिस। कस जी! सियानमन बुधारू से दस हजार दांड लेव अउ पटवारी से पांच हजार।
अतेक ल सुन के सियानमन बोलिन -बुधारू के समाज म उठना-बइठना रहिथे। अपन बेटा ल समझा सकत रिहिस। फेर, पटवारी तो सरकारी मनखे ए। वोला समाज के नियम-कानून का मालूम। त अपन बेटा ल का समझातिस। पांच हजार दिस वोतका अब्बड़ हे। सियानमन के निरनय ल सुन के जम्मोझन माथा धर के बइठगें।

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