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सुभ काम नइ होवय बेटी बिना

locationरायपुरPublished: May 02, 2019 05:50:24 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बिचार

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सुभ काम नइ होवय बेटी बिना

हमर संस्करीति म कन्यादान ल पुन माने गे हे। कन्यादान के बिन मनखे के जिनगी आधा हे। कन्यादान ले घर-अंगना पबरित होथे। कहे जाथे जेन घर म बेटी नइ होवय उहां दिल नइ होवय। घर म बेटी के नइ रहे ले घमंड आ जाथे। जेन घर म बेटी होथे उहां सुख सम्पदा भराय रहिथे। हर घर म कम से कम एक बेटी जरूर होय बर चाही। कन्यादान करे ले मनखे के अभियान मिटथे।
इतिहास गवाही हे जेन काम ल बेटीमन करे हें, बेटा नइ कर सके हे। दुरगावती, लछमीबाई, मीराबाई, मदर टेरेसा अइसन हमर देस के बेटी होय हें जिनकर साहस, सेवा अउ भगती के आगू जमो छोटकन दिखथें। सुभ काममन म मंगल कलस बेटीमन लेगथें, बेटामन नइ लेगंय। यातरा के बेरा कन्या जब कलस मुड़ म रखथे तब सुभ माने माथे अउ यातरा सफल घलो होथे। हर सुभ कारज म चउक पुरे के काम बेटीचमन करथें। ऐकरे सेती बेटी के समाज म जगा ऊंचा हे। बेटीमन ल आदर-सम्मान मिले बर चाही। बेटी मइके अउ ससुराल दूनों कति ‘दीयाÓ कस बर के अंजोर करथे। बेटी से भेदभाव नइ करे बर चाही।
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