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नोनी

locationरायपुरPublished: May 02, 2019 05:56:47 pm

Submitted by:

Gulal Verma

नानकीन किस्सा

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नोनी

आज राधा अउ जानकी नल म पानी भरत खानी एक दूसर संग गोठियावत राहय। राधा ह जानकी ल पूछथे- हव बहिनी! सुने हंव तोर बर नवा सगा आय रिहिस कहिके। जानकी ह बताथे- हव रे! आय तो रिहिन हे। त तोर का बिचार हे। मोर का बिचार रइही बहिनी। दाई-ददा जेकर अंगरी धरा दिही वोकर संग चल देहूं। आखिर उंकर मुड़ के बोझा तो बन गे हंव। पाछू घनी धोखा खाय हस रे। सोच-समझ के निरनय लेबे,राधा कहिथे। मोर निरनय ल कब कोन सुने हे रे। पाछू समे मेहा अउ पढहूं कहिके गोहरायेंव त हमर मुड़ के बोझा हलका होही कहिके मोला एकझन मंदहा मनखे संग बरोदिन। जब रोज के गारी-मार ल नइ सहे सकेंव त फेर उंकर मुड़ के बोझा बन के मइके म बइठे हंव। बतावत जानकी के आंसू चुहगे। तभो ले रे! थोरिकमन म भंजाके दाई-ददा ल अपन अंतस के गोठ ल बताबे! मय नोनी जनम धरे हंव बहिनी! मोर जिनगी के निरनय लेय के अधिकार मोला नइये। दाई-ददा जेन निरनय लिही उही म मोर हित समझ के कलेचुप चल दुहूं। ताहने दूनोंझन पानी भरके अपन-अपन घर कोती चलदिन।
आज राधा एकेझन पानी भरे बर नल मेर आय हे। वोकर संगी जानकी ल काली कोनो दूसर घर म एकझन लोगलइका वाला दूजहा मनखे के जोड़ी बनाके भेज दीन वोकर दाई-ददामन। ऐती राधा ह मनेमन गुनत रहय। का नोनी के जनम धरई ह अपराध ए। कब वोला अपन जिनगी के निरनय लेय के अधिकार मिलही।
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