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दूधमुंहा लइका भुलाय मोबाइल म

locationरायपुरPublished: May 03, 2019 05:05:17 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बिचार

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दूधमुंहा लइका भुलाय मोबाइल म

आज अइसन दिन-बछर आगे हे कि जन्मत-बाढ़त लइका-पिचका घलो मोबाइल म चिपके हें। लइका यदि रोवत हे त मोबाइल ल धरा दे त चुप हो जावत हे। दाई बुता-काम करत हे त धरा दे मोबाइल, लगा दे जैसन टॉममन जेरी ल त भुलाय हे। नान्हेंपन ले मोबाइल ल धराय ले लइकामन के आदत बन जथे। आज मोबाइल ह हमर समे बे समे काम अवइया साधन हे। जतके आधुनिक बिग्यान के बढ़ोतरी होत हे, वोतेक हमन लइकामन ल वोला दे के आदत करात हंन। का दाई-ददा ल सोचे बर नइ चाही कि लइका ल कोन चीज ल कोन समे म देय बर चाही? कोनो जिनिस के नुकसान या फायदा हे, का देखे बर नइ चाही?
आज बाढ़त लइकामन ल उचित संस्कार, बिचार दे के हमन करा समे नइये, तब लइका कइसे संस्कारवान बनही? टेक्नोलॉजी के उपयोग समाज अउ देस के बिकास, उत्थान करे बर चाही। टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग से समाज अउ देस ऊपर गलत परभाव परथे। हमन के बिकास के सोपान हे टेक्नोलॉजी ह। जउन ह समे के जरूरत के मुताबिक बदलत रहिथे। अइसन म बाढ़त लइका ल समे म संसाधन उपलब्ध कराय के संगे-संग संस्कार अउ बिचारवान बनाय के जरूरत हे। मोबाइल के सेती लइकामन के याददास्त ह कमतियात जावत हे। दुख अउ चिंता के बात हे कि मोबाइल के सदुपयोग ले जादा दुरुपयोग करत हें।

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