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कलिंदर खाव, रोग भगाव

locationरायपुरPublished: May 14, 2019 05:11:53 pm

Submitted by:

Gulal Verma

सेहत

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कलिंदर खाव, रोग भगाव

कलिंदर के नांव सुनते साठ मुंहू म पानी आ जाथे। काबर कलिंदर खाय म बहुत मजा आथे अउ विटामिन घलो भरपूर रहिथे।
कलिंदर ल हिंदी म तरबूज कहे जाथे।
रंग-रूप
कलिंदर के फर ह गोल आकार के होथे। ऐकर वजन ह एक किलो से दस किलो तक घलो होथे। ऐकर ऊपर ह हरियर रंग के होथे अउ भीतरी ह लाल रंग के होथे। लाल-लाल गुदा के बीच -बीच म छोटे- छोटे करिया -करिया बीजा रहिथे।
कलिंदर के लाल भाग ल खाय जाथे अउ बीजा ल फेंक देथे या बीजहा राखे के काम आथे।
सुवाद
कलिंदर म पानी के मातरा जादा रहिथे। फेर खाय म बहुत स्वादिस्ट अउ मीठ लागथे। ऐला लइका सियान सबोझन मजा लेके खाथें। भोभला मनखेमन तको ऐला चबा के खा सकथे।
खेती
कलिंदर के फसल ह गरमी के मौसम म जादा होथे। जतके जादा गरमी रहिथे, वोतके जादा एकर फसल होथे। कलिंदर के फसल ह रेती म या रेती वाला माटी म जादा होथे। एकर जादा खेती ह नदिया के तीर होथे। नदिया के रेती म घलो ऐला बोय जाथे। नदिया के तीर म ऐला अक्टूबर – नवंबर म बोथें अउ मैदानी छेत्र वालेमन फरवरी-मार्च म बोथें। कलिंदर ह हमर देसा के सबो जगा मिलथे।
कलिंदर के फायदा
– ऐहा जेवन (भोजन) ल जल्दी पचाथे।
– रोज खाय से मोटापा कम होथे>।
– चमड़ी रोग म बहुत फायदा करथे।
– सेंधा नून ल डार के खाय ले खट्टा डकार बंद हो जाथे।
– ऐमा विटामिन ए, बी, सी, अउ लोहा के मात्रा भरपूर पाये जाथे। जेकर से खून के कमी दूर अउ साफ होथे।
सावधानी
– कलिंदर ल रात म नइ खाय बर चाही।
– रात म खाये से सरीर ल नुकसान होथे। अइसे डाक्टरमन बताय हे।- गरभवती माइलोगिनमन ल घलो जादा कलिंदर नइ खाय बर चाही। ऐकर से नुकसान हो सकथे।
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