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बुढ़वा के चतुराई

locationरायपुरPublished: May 15, 2019 05:28:17 pm

Submitted by:

Gulal Verma

कहिनी

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बुढ़वा के चतुराई

गां व बकली म रामा नांव के सियान रहय। वोला अपन बेटी घर उपरवारा जाय बर रहिस। एकठन गठरी ल मुड़ म बोह के अउ हाथ म लउठी धरके चलदीस। रेलगाड़ी म वोला जाय बर रहिस। रेलगाड़ी टेसन म खड़े रहिस। छूटे के समे रेलगाड़ी के सीटी बाजिस त वोहा उत्ता-धुरता टिकट कटा के एकठिन डिब्बा म बइठिस। उही डिब्बा म दूझन लइकामन ह बइठे रहिन। एकझन लइका के नजर रेलगाड़ी म लाल रंग म लिखाय चेतावनी म परगे। बिना कारन के कोनो जंजीर ल खिंचही त वोला पांच सौ रुपिया पटाय बर परही। दूनों संगवारी अपन-अपन खिंसा ल देखिन। दूनों मिलाके वोकरमन कना पांच सौ रुपिया रहिस।
दूनों संगवारी रेलगाड़ी के डिब्बा के जंजीर ल खिंचे के उदीम कर डरिन। वोमन खुसुर-पुसुर गोठियाथें के पकड़ाबोन त ए बुढ़वा के नांव बता देबोन। दूनोंझन के गोठ ले सियान ह सुनके सोच म परगे। वोला गुने लगिस। अतके म दूनों लइका जंजीर ल खींच दीन। रेलगाड़ी रुक गिस। पुलिसवालेमन चेक करत उही डिब्बा म पहुंच गे। पूछताछ होइस त दूनों संगवारी बुढ़वा के नांव ले दीन।
पुलिस ह सियान ले पूछिस- तेहा काबर जंजीर ल खीचे हस? सियान कहिस- साहेब, मेहा पांच सौ रुपिया धरे रहेंव, तेन ल ए दूनों लइकामन झटक लीन। ऐकरमन संग झगरा नइ कर सकंव, तेकर सेती जंजीर ल खींचे हंव, साहेब। जांच कर सकथव, भई। जांच म पुलिसवालेमन ल दूनों लइका से पांच सौ रुपिया मिल गीस। चले रहिन बुढ़वा ल फंसाय बर, अपनेमन फंस गे।
पुलिस ह पकड़ के लइकामन ल लेगे बर धरिस त सियान ह सबो घटना ल सच-सच बता दिस। वोहा लइकामन ल छोड़ाइस अउ समझाइस के, देखव बाबू हो अपन गलती ल भूल के ककरो ऊपर झन डारव। आज तो मेहा तुमन ल बचा देंव, नइते तुमन जेल के हवा खात परे रहितेव। महुं ह अकल नइ लगातेंव त तुहर बदला मेहा जेल म रहितेंव।
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