जोहार अउ जय जोहार
रायपुरPublished: May 29, 2019 05:42:02 pm
बिचार
क हावत हे -‘अड़हा बइद परान घातका।Ó माने अड़हा कहूं बइद ह होगे, त मरीज के मरे बिहान हे। ठउका इही किसम कहूं जेमन भाखा खातिर कारज करत हें अउ उहूमन ल भाखा अउ वोकर ले जुड़े परंपरा अउ संस्करीति के समझ नइये त उहू भाखा के मरे बिहान कस हे।
अभी जेमन हमर भाखा के नाव म ऐती-वोती कूदत हें, वोमा के कतकों जब मोर संग भेंट होथे त कहि परथें- ‘जय जोहारÓ भोले जी। मैं अतका म टमड़ डारथंव के भाखा के नाव म बिल्लस खेलइया ए लोगन के भाखा अउ संस्करीति के संबंध म कतका गियान हे।
अरे भई, जोहार संबोधन खातिर पूरा सब्द आय। वोला ककरो पंदोली के जरूरत नइये। जइसे नमस्कार या परनाम ल ककरो जरूरत नइ परय। जोहार के मतलब ही नमस्कार या परनाम करई होथे। जइसे हम जय नमस्कार या जय परनाम नइ काहन, वइसने जय जोहार कहे के भी जरूरत नइये। अभिवादन खातिर सिरिफ ‘जोहारÓ कहई ह काफी हे। गांव म परंपरा हे – जब देवारी पइत पहाटियामन मड़ई उठाए के समे सबले पहिली गांव के गउंटिया या सियान ल पहिली सम्मान दे के परंपरा निभाथें। त उन कहिथें.- चलव गा पहिली दाऊ ल, मंडल ल, या सरपंच ल जोहार लेथन। तेकर पाछू दइहान या अउ कोनो आयोजन ठउर कोती जाबो।