scriptदाई के अंचरा | chattisgarhi sahitya | Patrika News

दाई के अंचरा

locationरायपुरPublished: Jun 05, 2019 05:17:37 pm

Submitted by:

Gulal Verma

कहिनी

cg news

दाई के अंचरा

दा ई, ददा अउ मेहा तीनोंझन बजार जावन। ददा ह साइकिल के हेंडिल ल पकड़ के रेंगाय। मेहा केरियर म बइठे रहांव। दाई ह मोर बर ले फुग्गा अउ खजानी ल एकठन हाथ म धरे रहय। मेहा सरगलग खजानी ल खाए बर जिद्दी कर देंव, तहान दाई ह कहाय, घर जा के खाबे। कभु-कभु लहटुत खानी घाम रहय, तहांन दाई ह अपन अंचरा ल निकाल के मोर मुड़ी म ढांक के संगे-संग रेगें। मेहा वोकर लुगरा के भीतरी ले देखत रहंव। कभु-कभु ददा ल कहंव, बाबू घंटी ल बजा न। मोला बिक्कट मजा आय। कभु बरसात के दिन बजार ले लहुटत खानी पानी गिर जाय। तहान दाई ह मोर मुंडी म अपन अंचरा के छतता बना देय। जाड़ म मोर कान ल अपन अंचरा ले ढांक दे, तहान मोला जाड़ नइ लगे। मोला सुरता हावे, कोनो मउसम रहाय, दाई के अंचरा ह मोर देह ल बचाय।
थोरकुन बाढ़ गेंव। खुदे ले नहाय ल धर डरेंव। नहाय के बाद गमछा ल अपन देहें ल पोंछों। वोकर बाद जेवन करके इसकूल जाय बर रंधनी खोली म आंव। दाई ह रोटी बनात रहाय। तुरंतेच उठ के मया के मारे खिसिया जाय अउ कहय, अतकेच बड़े हो गे हस, फे र तोला न नहाय बर आय, न पोंछे बर। अइसने कहात-कहात अपन अंचरा ल निकाल के मोर चुंदी ल पोंछे। चुंदी म तेल डार के कंघी करे के बाद मुंहूं म पाउडर लगा दे। पाउडर ल अपन अंचरा ले पोंछे दाई ह अउ अंगाकर रोटी परोस देय। खाय के बाद मुुंहू धोवय, फेर मोर मुंहू म साग लटकेच रइ जाए। वोला दाई ह अपन अंचरा म पोंछ दय। धरा-रपाटा अपन बसता ल तियार करके मेहा इसकूल बर निकलंव। दाई ह मोला दुआरी तक छोड़े बर आय। अपन अंचरा म गठियाय एक रुपिया ल देय अउ कहाय, बने असन चीज खाबे, छुटटी म। मेहा संगवारीमन संग भागत इसकूल चल दंव।
इसकूल ले पढ़ के संझा मेहा घर लहुटंव। दाई ह मुहाटी म मोर खुसतेच चिल्लाय। हाथ-गोड़ ल धो के रोटी खा ले। संगे-संग पूछे घलो, आज का-का पढ़ेस। धकर-लकर खा के मेहा खेले बर निकल जांव। मइदान म खेलत-खेलत गिर जांव। डर के मारे दउड़त घर आंव, तहान दाई ह गारी देत तुरतेच अपन अंचरा ले मोर घाव के धुररा-लहू ल पोछय। वोकर बाद धो के मरहम लगाय। अइसनेच जाड़ दिन म मोला सरदी हो जाए, तहान घेरी-बेरी नाक ह बोहाय, त दाई ह अपन अंचरा ले नाक ल पोंछे। रातकिन मेहा दाई संग सुतो त अपन अंचरा ले मोर मुड़ी ल ढंाक के सुता देय।
कभु-कभु महूं ह दाई संग खेत जांव। बोइर, लाखड़ी, बटरा, राहेर टोरंव अउ दाई ह अपन अंचरा ल फ इला के बइठे रहाय, उही म सकेलत जांव। दाई ह बताय, जब मेहा नानुक रेहेंव त मोर माथ अउ आंखीं म काजर लगा देय। कहुं जाय बर रहाय त मोला कोरा म पाके अंचरा ल ढांक के लेगे। मोला घलो सुरता हावे, दाई ह मोला अउ मोर भाई ल छोड़ के कभु मंदिर, नइते बजार डहर जाय, त लहुटत खानी अपन अंचरा म परसाद नइते, खजानी ल गठिया के लाय। दाई के अंचरा के सेती लइका ल घाम, जाड़, पानी कहीं नइ लागय।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो