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सेवा जतन

locationरायपुरPublished: Jun 06, 2019 04:34:37 pm

Submitted by:

Gulal Verma

नानकीन किस्सा

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सेवा जतन

बुधारू के दाई ह खटिया धर ले रहय। वोला कैंसर होगे रहय। बुधारू ह अपन दाई ल बड़े -बड़े डाक्टरमन तीर देखाइस, फेर कोनो फायदा नइ होइस।
बुधारू के गोसइन समारी ह बिहनिया ले उठ के अपन सास ल दतवन करावय। वोला सुग्घर नास्ता, कलेवा खवावय। फेर, मंझनिया दार-भात बने रांध के खवावय। फर-फूल घलो देवय। बपरी ह अब्बड़ सेवा जतन करे। अपन गोसइन ल अपन दाई के सेवा जतन करत देख के बुधारू बड़ खुस रहय। एक दिन वोहा समारी ल पूछिस- कस वो समारी, तेहा दिन-रात मोर दाई के सेवा जतन करथस। साफ-सफई करथस। तोला घिनघिनासी नइ लागे का? समारी ह् कहिस- लागथे हो! फेर मेहा अपन सास के सेवा जतन नइ करहूं त मोर बहुरिया ह मोर सेवा थोरे करही। ए सेवा जतन तो मेहा अपन भविस्य बर करत हंव। काबर हमर बेटा ह ए जम्मो ल देखत हे। जइसन हमन बोबोन, तइसने काटबोन जी। समारू हअपन गोसइन के अइसने गोठ ल सुन के अपन भविस्य बर निसफिकर होगे।

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