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गरमी म बीमारी ले बांचे बर का करे बर चाही?

locationरायपुरPublished: Jun 07, 2019 05:01:29 pm

Submitted by:

Gulal Verma

करसी के जुड़ पानी पीये बर चाही

cg news

गरमी म बीमारी ले बांचे बर का करे बर चाही?

आजकल के मउसम बदले के समे ह घलो परिवरतन हो गे हे। उद्योग अउ बाढ़त परदूसन ले मउसम म घलो बदलाव होवत जावत हे। ऐकर सेती गरमी ह घलो बाढ़त हे। नदिया -नरवा के पानी तो काम- बुता के पानी आय। फेर, पीये के पानी बर गरमी म भारी समसिया हो जथे। कुआं, कुवां झरना अउ पीये के पानी के सब्बों स्रोत ह घलो सूख जथे। आजकाल सहर के संगे-संग गांवमन म घलो कूलर-फिरिज के जमाना आ गे हे। जेकर ले मनखे जुड़ रहिथे, अउ पीये के पानी ह घलो जुड़। फेर फिरिज के पानी ल बने नइ मनो जाय। ऐमा सुवाद घलो नइ रहय।
गरमी म जुड़ पानी बर उपाय आय ‘करसी के पानी ह’। जेकर ले गरमी म तन के संगे-संग मन ह घलो जुड़ाथे। करसी के पानी के अब्बड़ महत्ता हे। माटी के करसी के पानी ल सुद्ध माने जाथे। जेमा बिग्यानिक महत्ता घलो छुपे हावय। जेकर ले हमर पियास ह बुझाथे अउ तन ह जुड़ा जाथे। एकठन हाना घलो हे- ‘कुम्हार घर के सुग्घर करसी, जेमा समाय बिग्यान के कहिनी। तन जुड़ाथे, मनो जुड़ाथे, जब पीबे तैं करसी के पानी।Ó

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