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कतकोन संकट के बीच म लोकमंच जिन्दा हे

locationरायपुरPublished: Jun 28, 2019 05:14:32 pm

Submitted by:

Gulal Verma

लोककला

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कतकोन संकट के बीच म लोकमंच जिन्दा हे

भोजन आधा पेट कर, दोगुन पानी पियव। तिगुन मेहनत, चैगुन हंसी, बरस सवा सौ जीवा। कवि काका हाथरसी के लिखे कविता के ए लाइन ह इही बात ल बताथे कि ‘हंसई ह हर लम्बा जिनगी खातिर बहुतेच बड़े ओखद आय। बिना दुख तकलीफ के हंसी ह कसरत तको आय। तभो ले आज के जमाना म लोगन कहिथें कि ‘जउन हंसही, तउन फंसही।Ó अइसन गलत बिचार ल बदल के ‘जउन हंसही, तउन बसहीÓ ल जन-जन म फैलाय खातिर भीड़े हवंय दुरूग के रहवइया जबड़ हास्य कलाकार हेमलाल कौसल ह।
हिंदी रंगमंच, लोकमंच अउ फिलिम तीनों म लोकमंच ह सबले जादा ताकतवर माध्यम ए। लोकमंच ह कई हजार देखइयामन ल जाड़, गरमी अउ रिमझिम गिरत पानी म तको बांधे रखथे। ऐला देखइयामन ह टस ले मस नइ होवय। ऐकर तुलना म हिंदी रंगमंच अउ फिलिम बहुत जादा साधन सम्पन्न अउ सुविधाजनक होथे। तभो ले कईठिन संकट के बीच म लोकमंच जीवित हावय अउ छत्तीसगढ़ के नाव ल रास्टरीय, अंतररास्टरीय स्तर म स्थापित तको करे हावंय।
छत्तीसगढ़ी लोकमंच अउ हिंदी रंगमंच के संगे-संग छत्तीसगढ़ी फिलिम अउ एलबम म तको अपन कला ल देखइया कलाकार हेमलाल ल दरसकमन के वाहवाही तो मिलबे करिस, संगे-संग कईठिन राज्य अउ रास्टरीय स्तरीय मुकाबला म अवार्ड तको मिले हावंय। कला यातरा म वोला अखिल भारतीय नाट्य परतियोगिता सिमला म मुंसी परेमचंदजी के लिखे नाट्क ‘सवासेर गेहूÓ म बढि़य़ा अभिनय खातिर ‘बेस्ट ऐक्टरÓ के अउ टूरा रिक्सा वाला फिलिम म हास्य अभिनय खातिर ‘बेस्ट कामिडियनÓ के पुरस्कार मिले हवय।
हेमलाल संग मुहाचाही करे के बढिय़ा मउका रायपुर के मुक्तांगन म मिलिस। तब वोहा बताइस कि मोर रंगमंच के यातरा ह इसकूली जीवन से होहे। सुरू म मोला रद्दा देखइस दुरूग के नामी रंगकरमी कृस्नकुमार चौबे ह। वोकरे निरदेसन म स्व. महासिंग चन्द्राकर के संस्था सोनहा बिहान म मोला बड़का अवसर मिलिस हे। अउ मोर अभिनय ह लक-लकावत अंगरा म तपत सोन कस दमकत गिस। छत्तीसगढ़ के बड़े लोकसंस्था ‘चंदैनी गोंदाÓ म मोला हंसाय बर अवसर तको मिलिस।
हेमलाल बोलिस- मोर अभिनय म धार अउ चमक बाढि़स जब मेहा नामी हिंदी लोक नाट्य निरदेसक रामहृदय तिवारी के संस्था ‘छिातिज रंग सिविरÓ म स्व. परेम साइमन के लिखे नाट्क ल संतोस जैन के निरदेसन म करेंव। अइसने बछर 1985 म छत्तीसगढ़ म परचलित लोकगाथा लोरिक-चंदा म हास्य अभिनेता के रूप म अपन पहचान बनाय के मोला बड़का मउका मिलिस। हास्य अभिनेता सिवकुमार दीपक अउ स्व. कमल नारायन सिन्हा के संग मोला हास्य अभिनेता के लटका-झटका अउ खासकर जनाना बनके बारिक -बारिक अभिनय सीखे के मउका मिलिस।
हेमलाल बताइस -वोहा कईठिन छत्तीसगढ़ी फिलिम म काम करे हे। सतीस जैन के फिलिम टूरा रिक्सा वाला म अपन परतिभा ल देखाय के मउका मिलिस। ऐकर पाछू मोर बर कईठिन फिलिम के दुवार खुल गे। मिस्टर टेटकू राम, मितान 420, लैला टीपटाप छैला अंगूठा छाप, कारी, पठौनी के चक्कर, दू लफाड़ू , मोही डारे रे, तोर खातिर, महुं कुंवारा तहुं कुंवारी जइसे फिलिम मिलिस। जेमन म हास्य अभिनय ल जनता जनारदन ल देखाय हंव।
हेमलाल कहिस- छत्तीसगढ़ के फिलिम दुनिया ल अभी लम्बा रद्दा रेंगे बर बाकी हे। हालांकि नवा लइका रेंगे बर सुरू करथे त गिरबेेच करथे। इही हालत अभी छत्तीसगढ़ी फिलिम के हावय। फेर, धीरे-धीरे ऐमे पोठपन अब दिखथ हावंय। आज के दसा म पूरा छत्तीसगढ़ के कईठिन टाकीज म छत्तीसगढ़ी फिलिम एक संग लगत हावय। ऐहा एकठिन सुभ संकेत आय। संगे-संग छत्तीसगढ़ी फिलिम जगत ले जुड़े सब्बोझन ल अपन स्तर म सुधार लाय के ताकत तको आय।
हेमलाल कहिस – हिंदी रंगमंच, लोकमंच अउ फिलिम तीनों म लोकमंच ह सबले जादा ताकतवर माध्यम ए। लोकमंच ह कई हजार देखइयामन ल जाड़, गरमी अउ रिमझिम गिरत पानी म तको बांधे रखथे। ऐला देखइयामन ह टस ले मस नइ होवय। ऐकर तुलना म हिंदी रंगमंच अउ फिलिम बहुत जादा साधन सम्पन्न अउ सुविधाजनक होथे। तभो ले कईठिन संकट के बीच म लोकमंच जीवित हावय अउ छत्तीसगढ़ के नांव ल रास्टरीय, अंतररास्टरीय स्तर म स्थापित तको करे हावंय।
हेमलाल बताइस – कला के भूख कभु मिटय नइ। ते पायके मेहा आजकल छत्तीसगढ़ के जाने-माने लोकगायिका कविता वासनिक के संस्था ‘अनुराग धाराÓ ले जुड़े हंव। ए लोकमंच के कोती ले देस के महानगर म आयोजित कईठिन रास्टरीय- अंतररास्टरीय महोत्सवों म मेहा छत्तीसगढी़ कला, संस्करीति ल परदरसित करे हावंव।
हेमलाल कहिस – पूरा जीव जगत म परभु ह हंासे के गुन मानुस भर ल देय हे। हंसोड़ मनखेमन तनाव अउ कटुता ल जनमानस ले दूरिहा भगाथें। इही पाय के हंसोड़ मनखे ल ‘अजात सत्रुÓ कहई सहीं समझथंव। ए कला ह इही संदेस देथे कि ‘अइसे तो जिनगी कम हावय दोस्ती बर, फेर समे कहां ले निकलथे दुस्मनी बर।Ó
हेमलाल कौसल संग गोठ-बात ल खतम करके घर लहुटत-लहुटत मेहा सोचत रहेंव कि हंसी के मामला म कंजूसी ह मनखे ल मनखे ले दूरिया करत हावंय। इही पाय के दिनभर म एक न एक पइत ठहाका लगाय के मउका जरूर निकाले बर चाही।
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