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पुरी के रथयातरा

locationरायपुरPublished: Jul 04, 2019 05:28:06 pm

Submitted by:

Gulal Verma

रजुतिया

cg news

पुरी के रथयातरा

पुरी म जगन्नाथजी याने सिरी किसनजी के मंदिर ह पूरा दुनियाभर म परसिध हे। ए रथ यातरा हिंदूमन के परसिद्ध तिहार म ले एक हे। ए मंदिर हमर हिंदू धरम के चारों धाम के तीरथ घलो म एक हे। हिन्दू धरम म कहे जाथे के मरे के पहिली चारों धाम के यातरा करे बर चाही। जेकर से मोछ मिलथे।
पुरी म भगवान बिसनु के अवतार सिरी किसन के मंदिर हे। जे बहुत बिसाल अउ कई सौ बछर जुन्ना मंदिर हे। ए मंदिर ल देखे, भगवान जगन्नाथ के दरसन अउ रथयातरा बर लाखों भगतमन इहां आथे। छत्तीसगढ़ राज म घलो भगवान जगन्नाथजी के रथ यातरा निकाले के परंपरा हाबय। जांजगीर -चांपा जिला के नवागढ़ ब्लाक के सिवनी (नैला), कन्आईबंद अउ अकलतरा ब्लाक के नरियरा गांव म भगवान जगन्नाथ के रथ यातरा निकाले जाथे।
ए रथ मन जुन्ना वास्तुकला के अचंभा हे। रथ यातरा म सबसे पहिली ताल ध्वज रथ म सिरी बलरामजी, वोकर पीछू पद्म ध्वज रथ म बहिनी सुभद्रा अउ वोकर पीछू आखिरी म गरुड़ ध्वज रथ या नंदीघोस नांव के रथ म भगवान जगन्नाथ सबले पाछू चलथे। कहे जाथे के रथ यातरा म सहयोग करे म मोछ मिलथे तेकरे बर भक्तनमन ए तीनों रथ के रस्सा ल खींचे बर बियाकुल रइथे।
भगवान जगन्नाथजी के रथ यातरा ह बछर असाड़ सुक्ल पछ के दूतीया के निकाले जाथे। छत्तीसगढ़ देस राज म ए रथ यातरा के दिन ल रजुतिया के नाव ले जानथन। रथ यातरा निकाले के पीछू कई परकार के जनसुरु ति हाबय। पहली म कहे जाथे के भगवान किरिस्न के बहिनी सुभदरा ह अपन मइके आथे त अपन भइया किरिस्न अउ बलदाऊ ल अपन गांव घुमे जाय के अपन इच्छा ल परगट करथे। तब किरिस्न अउ बलदाऊ अपन बहिनी सुभदरा के साथ रथ म सवार हो के गांव घुमे बर चल देथे। तब ले ए रथ यात्रा के परंपरा ह चले आवत हे।
दूसर जनसुरुति ए हावय के गुंडीचा मंदिर के देबीदाई ह किसन भगवान के मौसी आय। जेहा भगवान किसन, बलराम अउ सुभद्रा ल अपन घर आय के न्यौता देथे। त भगवान जगन्नाथ याने सिरी किसनजी अपन बड़े भाई बलदाऊ अउ बहिनी सुभदरा के संग अपन मौसी के घर 10 दिन बर रहे ल जाथे। भगवान जगन्नाथजी के रथ यातरा भगवान के मौसी के घर पहुंचे के बाद पूरा होथे याने के ए रथ यातरा महोत्सव पूरा दस दिन तक चलथे।
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