रायपुर

सतजुग आही कइसे?

बिचार

रायपुरJul 12, 2019 / 05:22 pm

Gulal Verma

सतजुग आही कइसे?

क लियुग के हाहाकार ले हलाकान होके जब कभु बने दिन के सुरता करथन त सिरिफ ए्क्के बेरा के सुरता आथे, सतजुग के। नानपन ले सुने हावंन सतजुग के मनखे सदाचारी, सत्यवादी अउ भगवान के मयारुक रहय। ऐकरे सेती उन कभु एक-दूसर के पीरा के सौदा नइ करत रिहिन।
आज के बेरा तो मार-काट, छीना-झपटी, ठगिक-ठगा, झूठ-लबारी, तोर-मोर, अपन-पराया के दलदल म बूड़े हावंय। पेपर. गजटमन हत्याएं बलात्कार, डकैती, भरस्टाचार, आतंकी अउ सीमा म गोलीबारी ले भरे रहिथे। त बतावव अइसन म सांत, सुग्गर अउ संयम ले भरे जुग के सुरता कइसे नइ आही।
फेर, मन म इहू गुनान आथे- आखिर अइसन बेरा आही कइसे? का सिरिफ सोचे भर म। ते ए रद्दा म रेंगे म। संगी हो, हमर मूल संस्करीति ह आखिर म सतजुग के संस्करीति तो आय। फेर, ऐती-ओती के किस्सा-कहिनी के सेती हमर मूल संस्करीति ह बिगड़ गे हे। कलजुग म किसम-किसम के अनियत, अनियाय, अतिचार होवत हे। मूल संस्करीति के दुरगति होवत हे।
का सतयुग के देवता ल छोड़ के अन्ते-तन्ते म उलझ गे हावन तेकर सेती उन सांत स्वरूप वालामन रिसागे हवंय? का किसम-किसम के आगी-होरा भुंजइया खेल ल आज करत हावंय? का ऐकरे सेती हमन कलियुग के आगी म धधकत हावन? त का सतजुग के वापसी खातिर हमन ल फेर उही सतजुग के संस्करीति ल, सतजुग के देवता ल अपन जिनगी के आधार बनाए बर लागही? का वोकर मूल रूप ल, मूल संस्करीति ल फेर चारोंखुंट बगराये अउ लोगन के मन म बसाये बर परही?् हां! अइसन तो करेच बर लागही। जइसन मन के पूजा-उपासना करबे, वइसने तो गुन-जस पाबे।
त आवव संगी हो, फेर उही सतयुग के रद्दा, सत्यम, सिवम, सुन्दरम के अपन मूल संस्करीति के रद्दा, अपन मूल देवता के बताय रद्दा म चलन। मूल म पानी रितोबोन तभे जिनगी रूपी पेड़ हरियाही। सिरिफ डारा-साखा म पानी रितोबोनत जर अउ पेड़़ के जिनगी सिरा जही। संग म हमरोमन के जिनगी के हरियाली सिरा जाही।

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