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डॉ. खूबचंद के रद्दा म चले के संकल्प ले बर परही

locationरायपुरPublished: Jul 19, 2019 04:22:58 pm

Submitted by:

Gulal Verma

डॉ. खूबचंद बघेल जयंती बिसेस

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डॉ. खूबचंद के रद्दा म चले के संकल्प ले बर परही

आज डॉ. खूबचंद बघेल के जम्मों बात ह डगडग ले हमर आगू म हे। जागे बर परही, नइते फेर अंधियारी रात घपटही। इही संकल्प 19 जुलाई म लेय बर चाही। सब प्रान्त म सरू प्रान्त हमर छत्तीसगढ़। कोनो ल नइ हीनय। नइ दुरदुरावय छत्तीसगढ़ ह। ऐहा माता कौसिल्या के मइके ए। धीरे-धीरे छत्तीसगढ़ महतारी के मंदिर के कलस जगमग करत उभरत हे। हमर छत्तीसगढ़ के अलग पहिचान हे। आसा हे अवइया समे म छत्तीसगढ़ ह देस के सिरमौर बन ही। सबला सांति, एकता अउ मेल के रद्दा बताही।
19जुलाई ह छत्तीसगढ़ के राज बर बहुत महत्तम के दिन ए । 19 जुलाई 1900 के दिन छत्तीसगढ़ राज के सपना देखइया हमर पुरखा डॉ. खूबचंद बघेल के जनम होइस। रायपुर जिला के गांव पथरी म पोटहर किसान घर जनमें डॉ. खूबचंद बघेल के पढ़ई लिखई गांव, रायपुर अउ आगू चलके नागपुर म होइस। ददा के नांव जुड़ावन बघेल अउ महतारी के नांव केकती बाई रिहिस। भरे पूरे घर। जमे खेती-बारी। डॉक्टर खूबचंद बघेल सुरू ले बहुत हुसियार रिहिस । नागपुर म डाक्टरी के पढ़ई करेबर गीस। इही बीच देस के अजादी के लड़ई म कूद गे। पढ़ई छूट गे। दू बछर बाद फेर पढ़ई करिस अउ तब के समे म डाक्टरी के डिगरी लीस। अतराप म डिगधीधारी अकेलस डाक्टर रिहिस फेर पइसा नइ कमइस। सेवा करिस। कांगरेस पाल्टी म चिकित्सा विभाग के काम देखिस। जनता के बीच बिना सेवा के काम करिस अउ आगू चलके – देश अउ छत्तीसगढ़ महतारी के सेवा खातिर डाक्टरी के काम ल छोड़ दीस ।
डाक्टर खूबचंद बघेल खाली नेता नइ रिहिस, बड़े साहित्यकार घलो रिहिस। साहित्य ह राजनीति के आघू मसाल लेके चलइया सचाई ए, ये बात ल मुंसी प्रेमचंद ह लिखिस। मुंसी प्रेमचंद के साहित्य ल डॉ. खूबचंद बघेल गजब पढि़स अउ मानय के संस्करीति अउ साहित्य के मसाल राजनीति ल रद्दा देखाथे। डॉ. खूबचंद बघेल ह अपन कलावंत दमाद रामचंद्र देसमुख ल हमेसा राजनीति म नइ आय के संदेस दीस। किहिस के संस्करीति अउ कला के छेत्र म काम करे बर जरूरी हे।
डॉ. खूबचंद बघेल ऊंच-नीच ल हटा के समाज म बराबरी लाने बर काम करिस। रायपुर जिला के चंदखुरी गांव के कांगरेसी नेता अनंतराम बरछिहा ह बहुत बड़ काम ल हाथ म लीस। तब के समाज गांव म मरदनिया ठाकुरमन सांवर बनावय। वोमन सतनामी भाईमन के सांवर नइ बनावत रिहिन। त बरछिहाजी सोचिस के मनखे-मनखे एक समान ए बात ल हमर गुरु बाबा घासीदास केहे हे। त सतनामी अउ हम तो एकहन। अइसन म ए भेद बने नोहय। गांव के मन नइ मानिस त बरछिहाजी ह खुदे सांवर बनाय बर उदिम करिस। वोहा सतनामीमन के सांवर खुदे बना दिस। उंकर दाढ़ी ल रोखिस। मेंछा सुधारिस अउ सांवर बनइस। देखो देखो होगे। कुरमी ह सतनामी के सांवर बना दिस। कुरमी समाज म हल्ला मचगे। बरिछहाजी ल समाज ले निकाल दीन। तब डाक्टर खूबचंद बघेल ल गजब दुख लागिस।
अनंतराम बरछिहा सेठ कहावय । वोकर बड़े जनिक दुकान रिहिस। खेती-बाड़ी करइया पोटहर किसान। कांगरेस के बड़े नेता तान ल कुरमी समाज ले निकाल दीन। डाक्टर साहब जानय के समाज के नेतामन सोचे सोज समझाय म भड़क जहीं। त डाक्टर साहब साहित्य के रद्दा धरिस। नाटक लिखित ऊंच-नीच। ए नाटक म जात-पात के बीच भेदभाव ल गलत बताय गीस। संदेस दे गीस के सब बरोबर हे। मनखे-मनखे एक समान। ए नाटक ल लिखके तियार करिस अउ नाटक खेलें बर अनंतराम दाऊ के गांव चंदखुरी ल चुनिस । पंडित रविसंकर सुक्ल अउ कांगरेस के बड़का नेतामन गांव पहुंचिन। नाटक सुरू होइस। कटाकरट भीड़। नाटक के संदेस सबके समझ म आ गे। गांव के मन उही मेर आके किहिन हमर सो गलती होगे। बरछिहाजी ल हम समाज म मिलाबो अउ सनमान देबो।
साहित्य ल वोकरे सेती प्रेमचंद ह राजनीति के आघू के मसाल माने रिहिस। डॉ. खूबचंद बघेल ह ऊंच-नीच नाटक के साथ छत्तीसगढ़़ के जवानमन बर जरनैल सिंग नाटक लिखिस। लगातार नाटक, निबंध लिख के अलख जगइस। छत्तीसगढ़ राज बनाय बर 1956 म छत्तीसगढ़ी महासभा बनइस। बाद म छत्तीसगढ़ भ्रातृसंघ बना के आंदोलन खड़ा करिस। सब डाक्टर खूबचंद बघेल के काम ल समझिन। धीरे-धीरे छत्तीसगढ़़ राज के हवा बंधिस। डाक्टर खूबचंद बघेल पेड़ लगाके चल दिस। वो पेड़ के छांव म हमन सुस्तावन हन। हमर ऊपर उंकर करजा हे। साहित्यकार, राजनीतिज्ञ, कलाकार, समाजसेवी सब झन 19 जुलाई म उंकर सुरता म जुरियाथें ।
डॉ. खूबचंद बघेल ह छत्तीसगढ़ के साधन म छत्तीसगढ़ के बिकास देखय। धान के भाव बढ़ाय बर आंदोलन करिस। दूसर परांत म धान नइ बेचे बर हे ए हुकुम रिहिस सरकार के । डाक्टर साहब बाघनदी के वो पार धान के बोरा ल लेके हुकुम ल ठेंगवा देखा दीस। आज डॉक्टर खूबचंद बघेल के सपना के छत्तीसगढ़ बनाय बर नवा सरकार ह बने संकलप लेहे। नरवा म रिही पानी त चलत जिनगानी। घुरवा, गरवा बारी के ऊपर धियान देके चलत हे तियारी। ए सब डॉ. खूबचंद बघेल के सिखावन ए। अपन साधन म अपन तरक्की। डॉ. खूबचंद बघेल ह अपन बेटी ल देसमुख परिवार म देके हमन ल रद्दा देखइस। अंतरफिरका बिहाव ह तब बने नइ माने जात रिहिस। समाज ह वोला दंड दीस। फेर डाक्टर खूबचंद बघेल के बात ल बाद म संहरा के समाज ह माथ नवइस।
आज डॉ. खूबचंद बघेल के जम्मों बात ह डगडग ले हमर आगू म हे। जागे बर परही, नइते फेर अंधियारी रात घपटही। इही संकल्प 19 जुलाई म लेय बर चाही।
भगवती सेन ह सहीच लिखे हे -हम काबर कोनो ल डररावन, जब असल पछीना गारत हन। हम नवा सुरूज परघाये बर मेहनत के आरती उतारत हन। किसान, मजदूर, आदिवासी, पिछड़ा अउ सबे काम करइया समाज के तरक्की के रद्दा बनाय बर होही, तभे डॉ. खूबचंद बघेल के छत्तीसगढ़ बनही। लोककला, साहित्य के घर ए छत्तीसगढ़ ह कलाकार अउ लिखइयामन ल डॉ. खूबचंद बघेल ह गजब सनमान दीस। छत्तीसगढ़ के सरूप इहीमन बनइन अउ बनहीं।
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