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रूख-राई घलो साधु-संत हे

locationरायपुरPublished: Jul 26, 2019 04:40:54 pm

Submitted by:

Gulal Verma

परयावरन के परदूसन बर जिम्मेदार कोन हे?

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रूख-राई घलो साधु-संत हे

रूख-राई हमर चारोमुड़ा के हवा -पानी ल परदूसित होय ले बचाथे। रूख ह जिनगी देवइया
ऑक्सीजन तो देबे करथे, संगे-संग वातावरन ल सुद्ध रखथे। रद्दा रेंगइया मनखे ल छइंहा, फर, फूल देथे। रूख-राई के बस अतकेच बूता नइये। ऐहा अपन पाना-पतौआ, छाला जड़-मूड़ म आनी-बानी के रोग-राई ले निपटे के दम घलो रखथे। सिरतोन म सोचबे त रूख के जम्मो जिनगानी ह पर के हित म लगथे। अपन अंग के दान करके औसधि के रूप म मनखे अउ जीव-जन्तु के परान बचाथे। बुढ़ापा म जब कोनो काट देथे त आरी बसला टंगिया के मार-काट सही के टेबल, कुरसी, कपाट आनी-बानी के जिनिस बन जथे। काटे बोंगे ले बांच जथे तेन ह चूल्हा म बर के मनखे के जेवन ल पकाथे। कुलमिला के रूख ह पर के हित बर सिरा जथे।
जेन मनखे के पूरा जिनगानी ह पर के हित म लग जथे वोला संत कहे गे हे। जेन अपन बर नइ सोच के दूसर बर सोचथे, संसो करथे तेन ल संत कहे गे हे। एकठन रूख ह दस झन लइका के बरोबर हे, अइसन उपनिसदमन ह बताय हे। अइसन ढंग ले बिचार करबे त रूख-राई ह संसार के सबले बड़े साधु-संत बरोबर लागथे।
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