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माटी के भाग जगइया मुंसी परेमचंद

locationरायपुरPublished: Aug 02, 2019 05:44:54 pm

Submitted by:

Gulal Verma

सुरता म

cg news

माटी के भाग जगइया मुंसी परेमचंद

दु नियाभर म मुंसी परेमचंद के नाव के डंका बाजत हे। 31 जुलाई के दिन परेमचंद ल लेखकमन सुरता करथें। पितर पाख म जइसे एकक दिन अलग-अलग पुरखामन आथें वोइसने 31 जुलाई के परेमचंद आथे।
छत्तीसगढ़ के मनखेमन परेमचंद केकहिनी, उपन्यास पढ़थे त वोमन ल लागथे के ऐहा हमरे कहिनी ए। घीसू, माधव, होरी, धनिया, सूरदास सब जगा मिलथें। परेमचंद ह उत्ती भारत के तस्वीर ल कागज म उतारिस, फेर बड़े लेखक के नजर बड़े रिहिस। संसारभर के सुख-दुख एकेच ताय। मनखे-मनखे एक समान। हमर छत्तीसगढ़ के संत गुरु बबा घासीदास किहिस-
‘मनखे-मनखे ला जान,
सगा भाई के समानÓ।
उही बात ल सबो गुरु अउ गियानी मन अपन-अपन ढंग ले कहिथें। परेमचंद के कहिनी म किसान के जउन दसा रिहिस तउन ह आज सौ साल बाद घलो जस के तस हे। देस अजाद होगे। तभो दसा नइ सुधरिस। दस साल म देस म दस लाख किसान आपघात करके मरे हे। परेमचंद के उपन्यास ‘गोदानÓ म किसान हे होरी। होरी गांव के बने पोटहर किसान रिहिस तउन ह मजदूर होगे। खेत ल सूदखोरमन बिसा लीन। दाना-दाना बर होरी तरस गे। घर बिगड़े गे। वोकर बेटा गोबर रोजी मजूरी करे बर सहर चलदीस। उही दसा हे आजो किसान के।
खेती के जमीन म कारखाना लगत जातव हे। किसान जमीन बेच के हाथ-गोड़ सकेले घर बइठत जावत हे। परेमचंद के कहिनी ह आज सिरतोन लागथे। परेमचंद हिंदी के बड़े कथाकार ए। हमर गौरव के हे हिंदी के पहिली कहिनी छत्तीसगढ़ के पेंडरा गांव म लिखे गीस। वोला लिखिन माधवराव सपरे ह। उही ल हिंदी के पहिली कथाकार जाने जाथे। ‘टोकरी भर मिट्टीÓ कहिनी म सप्रेजी ह छत्तीसगढ़ के डोकरी दाई के चतुराई, हिम्मत के बात लिखे हे। सत के मनइया छत्तीसगढ़ म सतवंतिन डोकरी दाई के कहिनी सपरे जी लिखिन। उमन गुरु कहइन। पंथी म गीत आथे-
‘सत के कहइया दुई चार ही गुरु हे हमार, अमरीत धार बोहाइ दे।Ó
सत के कहइया परेमचंद, सपरेजी जइसे दुई चार होय हे, जउन साहित्यकारमन के गुरु कहाथें। जइसे संसार म गुरु बाबा घासीदास के जय बोलाये जाथे वोइसने साहित्य के संसार म परेमचंद के जय बगरे हे।
दुखी-डंडी, मुरहा-पोटरा, पिछुवाय, परे-डरे, गिरे-हपटे मन के कथा-कहिनी लिखइया परेमचंद के कहिनी पंच-परमेस्वर म सच के जस गाने वाला सरपंच के कहिनी हे। आज समे बदल गे हे। बिन घूस के काम नइ बनय। दहेज परथा दिनोदिन बाढ़त हे।परेमचंद ह दहेज के विरोध करिस। राजनीति के आघू मसाल लेके चले के उदिम करइया ह सच्चा लेखक ये। बड़े करेजा वालामन परेमचंद के रद््दा म चल पाथें। इही बात ल हमर छत्तीसगढ़ के जनकवि भगवती सेन ह लिखे हे-
‘चल समाल धर, लड़ अनीत संग
बस रंग-झांझर आज मचा दे
छत्तीसगढ़ के माटी के बेटा उठ
चल गांव के भाग जगा दे।Ó
जब माटी के बेटा मन उठथें, तभे भाग जागथे, ए संदेस लपरेमचंद ह दीस।

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