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पहिली छत्तीसगढ़ी बियाकरन लिखइया ‘हीरालाल

locationरायपुरPublished: Sep 11, 2019 05:59:39 pm

Submitted by:

Gulal Verma

सुरता म

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पहिली छत्तीसगढ़ी बियाकरन लिखइया ‘हीरालाल,पहिली छत्तीसगढ़ी बियाकरन लिखइया ‘हीरालाल

1856 म अवतरे हीरालाल काव्योपाध्याय के छेवर अउ काठी ह कोन दिन-तारीख के होइस तेकर सरेखा कोनो नइ करीन। फेर अतका ल सरी साहित्यकारमन जानथें के वोकर नेक करम बर 11 सितंबर 1885 म काव्योपाध्याय सम्मान ले सम्मानित होय रहिस। इही सेती वो खास दिन तारीख म हर बछर वोला सुरता करथन अउ आगु तको सोरियातेत रहिबो। छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्छन अउ संवरधन बर हीरालालकाव्योपाध्याय ह माई-मुड़ी आय।
ही रालाल ह जब काव्योपाध्याय सम्मान ले सम्मानित होइस तब ले हीरालाल काव्योपाध्याय कहाये लगिस। हीरालाल काव्योपाध्याय ह छत्तीसगढ़ राज बर सिरतोन के हीरा आय। जेन ह छत्तीसगढ़ी आखर के लिखई परंपरा म छत्तीसढिय़ा साहित्यकारमन के गौरव ल बढ़ाय हावय।
1856 म अवतरे हीरालाल काव्योपाध्याय के छेवर अउ काठी ह कोन दिन-तारीख के होइस तेकर सरेखा कोनो नइ करीन। फेर अतका ल सरी साहित्यकारमन जानथें के वोकर नेक करम बर 11 सितम्बर 1885 म काव्योपाध्याय सम्मान ले सम्मानित होय रहिस। इही सेती वो खास दिन-तारीख म हर बछर वोला सुरता करथन अउ आगू तको सोरियातेत रहिबो।
छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्छन अउ संवरधन बर हीरालाल काव्योपाध्याय ह माई-मुड़ी आय। ऐकरे लिखे के बाद कोनो-कोनो अउ कलमकार होइन जेमन छत्तीसगढ़ी म लिखे बर जोगिन। 1885 ले अबही तक छत्तीसगढ़ी भासा के घातेचझीन मयारू होइन। जेन ल संघरा नइ सोरिया सकन। छत्तीसगढ़ी के जम्मो साहित्यकार, कविमन ल सोरियाये बर पहाये पाहरो ल हीरालाल काव्योपाध्याय युग ल चार काल म बांट लेथन।
पहिली- छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्छन काल -1885 ले 1947 तक। दूसरइया- छत्तीसगढ़ी भासा के स्वाधीन काल – 1948 ले 1970 तक। तीसरइया- छत्तीसगढ़ी भासा के जागरन काल- 1971 ले 2000 तक। चउथइया- छत्तीसगढ़ी भासा के राज्य गठन काल- 2001 ले अबही तक।
छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्छन काल
देस के सुराजी ले आगू छत्तीसगढ़ अंचल ह सिरोतन म छत्तीसगढ़ीपन ले सम्हरे रिहिस। चारों मुड़ा ठेठ छत्तीसगढ़ी म गोठिअइया रिहिन, त छत्तीसगढ़ी संस्करीति म जिनगी तको पहइन। भासा संस्करीति के सुग्घर रूप वाला ये समे ल जउन कवि, लेखक होइन तउन ह लेखनी म छत्तीसगढ़ी भासा ल बचाय के बूता करीन। सिलहोये के बूता करीन। इही पाइके 1947 तक ल छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्छन काल मान सकथंन। ये पइत के लिखइया होइन- पंडित सुकलाल परसाद पांडेय, जगन्नाथ परसाद भानु, बिसाहू राम सोनी, पंडित सुन्दरलाल सरमा।
छत्तीसगढ़ी भासा के स्वाधीनता काल
भारत देस के स्वाधीनता के झेलार ह छत्तीसगढ़ म तको ऊंचिस। स्वतंत्रता संगराम सेनानी अउ सुराजी के सपना देखइया छत्तीसगढ़ के निवासीमन ह डिह-टोला के मनखेमन म खुसी अउ उच्छाह के जोर ल पठोइन। ये पइत के कवि-लेखकमन ह सुराजी के गीद ल घातेच गुनगुनइन। ऐकरमन के कलम ह सुराजी सुख के संग देस ल सम्हराये के रचना ल मनमाड़े गढिऩ। सामाजिक बुराई जइसे बाल बिहाव, अंधविस्वास अउ छुआछूत ले जुड़े समिसयामन ले उबरे के रचना करीन।
छत्तीसगढ़ी भासा के जागरन काल
छत्तीसगढ़ी लोक मंच विधा के रूप म नवा सिरिजन होइस हे- चंदैनी गोंदा। 1971 म होय चंदैनी गोंदा के परदरसन ल कतकोझीन भासा अउ संस्करीति के छेत्र मं करांति कहिन, त कतकोझीन जागरन काल। ये नवां मंच परस्तुति के सिरजन होय ले छत्तीसगढ़ के सहर-गांव म सैकड़ों छत्तीसगढ़ी लोकमंच के गठन होइस। मंच के संगे-संग सैकड़ों गीतकार अउ नाटक-परहसन के लिखइया होइन। परचार-परसार के सरी माध्यम ह छत्तीसगढ़ी साहित्यकार अउ कलाकार ल मान-सम्मान दे लगीन। इही समे कमलकार ह कवि-लेखक के रूप म छत्तीसगढ़ी के बिकास बर योगदान दे लगीन। छत्तीसगढ़ी भासा के जागरन काल म सबले जादा कवि-लेखक चिन्हारी होइस हे।
छत्तीसगढ़ी भासा के राज्य गठन काल
1 नवम्बर 2000 के छत्तीसगढ़ राज्य के गठन होइस। तहां ले भासा के छेत्र म स्वाभिमान के बइहर ह चारोंमुड़ा अपन परभाव देखइस। जुन्ना लिखइयामन जीते-जी छत्तीसगढ़ ल राज्य के रूप म साक्छात देखिन अउ लिखे बर घातेच जोसियायीन। अइसने नवां लिखइयामन अवतरे लगीन। छत्तीसगढ़ी भासा ल राजभासा बनाय के गोहार अइसे परीस के 1 नवंबर 2007 म साहित्यकारमन के सपना पूरा होगिस। अब छत्तीसगढ़ी ल अउ आगू बढ़ाय बर चाही।
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