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पूरखामन के दूत होथे कउंवा

locationरायपुरPublished: Sep 11, 2019 06:05:51 pm

Submitted by:

Gulal Verma

हमर संस्करीति

पूरखामन के दूत होथे कउंवा

पूरखामन के दूत होथे कउंवा

चा लीस-पचास बछर पाछू के बात आय। ममा गांव जावंव त पीतर पाख म ममा दाई ह बरा-सोहारी बनाय अउ तरोई के पाना म ओला रख के मोहाटी म मड़ा देवय। तहान ले जोर-जोर से कहाय- ‘कउंवा आबे हमर मोहाटी, कउंवा आबे हमर मोहाटी।Ó ममा दाई के कहत देर नइ लागय अउ कांव-कांव करत अब्बड़ अकन कउंवा आवय अउ बरा-सोहरी ल चोच म दबा के उड़ा जावय। तब ममा दाई काहय – ‘कउंवामन खाथे, तेला पुरखामन पाथे।Ó
नानपन के ए बात ह अब सपना कस लागथे। काबर कि, अब पीतर पाख म कउंवा नइ दिखय। सहर के दसा अउ खराब हे। सहरीयामन ह पीतर पाख म कउंवामन ल अइसे खोजथें जानो-मानो नागमनि ल खोजथे।
पीतर पाख के आते साथ कउंवा के पूछा-परख ऐकर बर बाढ़़ जाथे कि कउंवा ल पूरखामन के दूत माने जाथे। जीयत ले जउन दाई-ददा ल मनखे फूटे आंखी देखन नइ भावय, उही सियानमन के मरनी के बाद पीतर पाख म उनला सुमीरत जल-तरपन अउ बरा-सोहारी खवाय के ढोंग करथें। अपन सुवारत म बूड़े मनखे पीतर पाख म कउंवा के पाछू -पाछू दउड़थे। मनखे के अइसन दोहरा चरितर ल कउंवामन तको समझ गे हावंय। तेकरे सेती मनखे के तीर म वोमन नइ ओधंय।
मनखे के अइसन दोहरा चरितर ले बने तो कउंवा के चरितर ल केहे गे हे। ‘मनखे जात तन ले तो बगुला भगत कस उज्जर-उज्जर दिखथे, फेर मन वोकर करिया होथे। फेर कउंवा ह तन अउ मन दूनों ले करिया होथे।Ó साधु बन के भगत के पीठ म छुरी घोंपइया मनखे ले अच्छा कउंवा के चरितर आय। इही पाय के सियानमन कहे हावय – ‘तन उज्जर मन करिया ये बगुला के टेक, ऐकर ले तो कउंवा भला जउन भीतर-बाहिर एक।Ó
कउंवा अउ मनखे के रिस्ता बड़ जुन्ना आय। हमर पुरखामन ह कउंवा के कतको किस्सा गड़ेे हावंय। हमर पुरान अउ धरम गरन्थ म कउंवा के किस्सा ‘कॉकभुसंडिÓ के नांव लिखाय हे। सुरदासजी तको कउंवा ल किसन भगवान के दुलरवा चिरई बताय हावय। ‘कॉग के भाग बड़े सजनी, हरी हाथ से लेगयो माखन रोटी।Ó
मनखे समाज बर कउंवा के बड़ा महत्तम हावय। ऐहा अनाज के दुसमन जीव जइसे – कीरा-मकोरा, मुसवा ल मार के अनाज ल बचाथे। मरे जीव जन्तु ल खाके परयावरन ल साफ राखथे। फेर, बदलत बेरा म गांव-सहर म पेड़ के कटई, खेत-खलिहान म कीटनासक दवा के बाढ़त उपयोग ह कउंवामन के काल बन गे हावय। कउंवा के नंदई मनखे बर करलई झन बन जाय तेय पाय के कउंवा ल काल के गाल म समाय ले बचाय के बेरा आगे हावय। कउंवामन बिहनिया कांव-कांव करके चेताथें।
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