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दरुहा के दुरदसा

locationरायपुरPublished: Sep 11, 2019 06:12:56 pm

Submitted by:

Gulal Verma

कहिनी

दरुहा के दुरदसा

दरुहा के दुरदसा

नि रंजन ह दू तीन बाटल दारू ल धरके अइस। घर म गिस ताहन पउवामन ल लुका दिस। एकठन ल धरिस अउ तरिया कोती चल दिस। वोकर बेटा विनय ह टुकुर-टुकुर देखत राहय। वोतकी बेर निरंजन ह दारू ल निकालिस। आंखी ल मुंदिस अउ गरगट ले पी दिस। अपन बाबू ल देखके विनय ह दारू म मोहागे। घर म आके दारू ल खोजिस. एकठन पउवा उहू ल मिलगे। दारू ल धरीस अउ मजा मारत पी दिस। वोहा पटियागे अउ खटिया म सूत गे।
विनय के दाई ह अड़बड़ दयालु अउ बहनी ह पढ़ई म आघु राहय। दूनोंझन घर म अइस । वोतका बेर घर ह महकत राहय। विनय ल पटियाय देखिस ताहन दाई-बेटी ह चिंता म परगे। विनय अउ वोकर बाबू ह पियई- पियइ म दरूहा बनगे अउ रोज लड़ई- झगड़ा होवय।
एक दिन विनय के दाई ल खेत-खार म कमाय बर गे रिहिस तेकर पइसा मिलिस। उहू ल निरंजन ह झटक लिस अउ इही बात म डउका-डौकी मनमाने झगड़ा होगे। निरंजन ह लउठी ल धरिस अउ अब्बड़ ठठा दिस। वोला अपन बेटी संग म घर ले खेद दिस।
दाई अउ बेटी ह घर- दुवार ल छोड़के अंते गांव म बसगे। दाई ह काम-बुता करे अउ बेटी ल रोज स्कूल भेजय। एक दिन वोकर बेटी ह बड़े अफसर बनगे। दाई -बेटी ह अपन दम म घर बनइन अउ खुसी-खुसी रहे लगिन। ऐती विनय अउ वोकर बाबू ह रोज झगड़ा होवय। एक दिन विनय ल दारू नइ मिलिस ताहन अपन बाबू ल राहपट- राहपट झड़ दिस अउ घर ले खेद दिस। निरंजन ल चेत अइस ताहन बेटी अउ सुवारी करा चल दिस। रो-रो के छमा मांगिस। तीनोंझन सुख ले रहे बर लगिन।
विनय ह दारू पी-पी के अपन घर-दुवार ल बेंच दिस। दारू ले बर पइसा तको सिरागे राहय।
अंधियारी रात म विनय ह पइसा चोराए बर गोंटिया के घर म परदा कोती ले कूद दिस। वोतकी बेर रखवारी करइयामन ह विनय ल पकड़ लिस अउ डोरी म बाँध दिस। बिहनिया होइस ताहन गांव वालामन सकलागे अउ सबो झन ह विनय ल गारी सुनइस। कोनो- कोनो ह ढेला-पथरा म फेंक के मारे लगिन। विनय के हवा-पानी बंद होगे। दांत ल निपोर दिस। वो दिन ले दारू ल छोड दिस। वोहा अपन दाई-ददा करा गिस अउ सेवा करे म लगगे।
द्यभास्कर वर्मा ‘उमंगÓ,
चंदना, धमतरी

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