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गुंथौ हो मालिन, माई बर फूल गजरा

locationरायपुरPublished: Oct 01, 2019 05:33:54 pm

Submitted by:

Gulal Verma

आस्था

गुंथौ हो मालिन, माई बर फूल गजरा

गुंथौ हो मालिन, माई बर फूल गजरा

न वरात माने सक्ति के उपासना परब। सक्ति जे भक्ति ले मिलथे। छत्तीसगढ़ आदिकाल ले भक्ति के माध्यम ले सक्ति के उपासना करत चले आवत हे। काबर के ये भुइंया के संस्करीति ह बूढ़ादेव माने सिव अउ सिव परिवार के संस्करीति आय। जेमा माता (सक्ति) के महत्वपूर्ण जगा हे। वइसे तो नवरात मनाय के संबंध म अबड़ अकन कथा आने-आने ग्रंथ के माध्यम ले परचलित हे। फेर इहां के जे मूल आदि धरम हे वोकर मुताबिक ऐला भगवान भोलेनाथ के सुवारी सती अउ पारबती के जन्मोत्सव के रूप म मनाय जाथे।
दुनिया म जतका भी देवी-देवता हें उंकर जयंती के परब ल सालभर म एके पइत मनाए जाथे। फेर नवरात एकमात्र अइसन परब आय जेला बछरभर म दू पइत मनाय जाथे। काबर ते माता सक्ति के अवतरण दू अलग-अलग पइत, दू अलग-अलग नांव अउ रूप ले होय हे। पहिली पइत उन सती के रूप म दक्छ राज के घर आए रिहीन हें। फेर अपन पिता दक्छराज के द्वारा आयोजित महायग्य म भोलेनाथ ल नइ बलवा के वोकर अपमान करे गिस त सती ह उही यग्य के कुंड म कूद के आत्मदाह कर ले रिहिस हे।
ए घटना के बाद भोलेनाथ वैराग्य के अवस्था म आके एकांतवास के जिनगी जीए बर धर ले रिहिस। फेर बाद म राक्छास तारकक्छ के उत्पात ले मुक्ति खातिर देवतामन वोकर संहार खातिर सिवपुत्र के जरूरत महसूस करिन। तब सिवजी ल माता पारबती, जेन हिमालय राज के घर जनम ले डारे रिहिन हे तेकर संग बिहाव करे के अरजी करिन। पारवती ह माता सती जेन सिवजी के पहिली पत्नी रिहिस हे वोकरे पुनरजनम आय। ऐकरे सेती हमर इहां माता सक्ति के साल म दू पइत जन्मोत्सव के परब ल नवरात के रूप म मनाय जाथे। संस्करीति के जानकारमन के कहना हे के सती के जनम ह चइत महीना के अंजोरी पाख के नवमी तिथि म होय रिहिस हे अउ पारवती के जनम ह कुंवार महीना के अंजोरी पाख के नवमी तिथि म।
हमर छत्तीसगढ़ म नवरात म जंवारा बोए के रिवाज हे। लोगन अपन-अपन मनोकामना खातिर बदे बदना के सेती जंवांरा बोथें। जेमा पूरा परिवार ल बर-बिहाव सरीख नेवता देथें। जंवारा बोवई ह चइत महीना के नवरात म जादा होथे। कुंवार म सक्ति के उपासना के रूप म दुरगा परतिमा स्थापित करे के चलन ह अभी बने बाढ़त हवय। इहू बखत माता दुरगा के फुलवारी के रूप म जोत-जंवारा बोये जाथे। अइसने इहां जतका भी सिद्ध सक्तिपीठ हें उहूमन म जोत-जंवारा जगाए जाथे।
नवरात के एकम ले लेके नवमी तक पूरा वातावरन म सक्ति उपासना के धूम रहिथे। हर देवी मंदिर, दुरगा प्रतिमा स्थल अउ जंवारा बोए घर म जस गीत गूंजत रहिथे। जब सेउक मन गाथें-
माई बर फूल गजरा, गुंथौं हो मालिन माई बर फूल गजरा। चंपा फूल के गजरा, चमेली फूल के हार। मोंगरा फूल के माथ मटुकिया, सोला ओ सिंगार।
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