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कलजुग म रावन

locationरायपुरPublished: Oct 08, 2019 05:08:30 pm

Submitted by:

Gulal Verma

परब बिसेस

कलजुग म रावन

कलजुग म रावन

ज ब रावन के आखिरी समे आ गे, तब बरम्हाजी कहिथे- भगवान ऐला कहां भेजंव, ऐला कोन अपन लोक म राखही? देवतामन कहिथें- . बड़ पाप करे हे तेकर सेती नरक भेजव बरम्हाजी। दानवमन केहे लगिन – हमन ऐकर आदेस -निरदेस ले तरस्त होगेन, हमूमन ल हरिहिंछा जियन दव। भगवान के हाथ मरत हे, ऐला सरग म जगा मिले बर चाही। मरइया ल सब दिखथे। रावन देखत रहय अउ हांसत घलो रहय। भगवान असमंजस म परे कहत रहय-तेकर ले इंहे रही जा रावन तैंहा।
रावन कहिथे- मेहा इहां नइ रंहंव भगवान। तैं मारे हस, सरग लेग। रावन तैं देखत हस, तोला कोनो राखे बर तियार नइये। बदला म दू ठिन बरदान मांग ले, फेर इहांं ले जाये के जिद झिन कर। मनेमन खुस होवत हे रावन। सोच लीस अउ मांगिस। भगवान पहला बरदान ये देवव के मेहा पिरथी म जब भी जनम धरंव मोर नांव कभु रावन झिन होय। सिरिफ राम कस होय बर चाही। भगवान कहिथे – काबर? राम के नांव म हरेक मनखे ल अतका बिसवास हे के वोकर नांव ले कहींच कर ले सब्बो सहींच हे। दूसर बरदान ये देवव के मोला कलजुग म कोनो असली राम झन मार सकय। राम पूछिस- त तैं मरबे कइसे? हमन आपस म लड़के मरबोन, रावन जवाब देवत कहिस ।
राम कहिथे – मोरो दू सरत माने परही। तभे हव कहूं। इहां रेहे बर कोनो सरत मनजूर हे भगवान, रावन जवाब दीस । भगवान कहिस- पहली सरत ये के तोला मोर बारे म पूरा जानकारी होय बरा चाही, तब तोला इहां के मनखेमन राम समझहीं। दूसर सरत ये के, आमने सामने ले कोनो ल लूटे नइ सकस। गलत काम जब करबे लुकाच के करबे। जब तक नइ धराबे तब तक राम कहाबे, जेन दिन धरा जबे, सबूत मिल जही अउ दोसी साबित होइच जबे, उही दिन तोला सब जान जही के तैं रावन अस।
रावन तियार होगे । भगवान ह धरती दाई कती देखत वोकर सहमति लेके जाये बर धरिस, तब पिरथी के मनखेमन ठाढ़ होगिन। यहा का नियाव हे भगवान। पापी ल फेर छोड़ देस। हमन ल फेर पदोही। भगवान कहिथे- बछर भर म आजे के दिन तुमन रावन के पुतला बनाके, अपन बुरई ल, उही म डार के आगी लगा दुहंू, तुमन ल अवइया एक बछर कोनो रावन पदो नइ सकय अउ इही दिन असली अउ नकली राम के भेद अपने अपन खुल जही। कइसे भेद खुलही भगवान? अरे भाई हो तुंहर बुरई जब सिरा जही, तब तुंहर तीर नकली राम टिक नइ सकही, तब असली राम ल नइचिन सकहू गा? जेन नइ कर सकहू ते बछरभर दुख सेहे बर तियार रहव ।
उही समे ले रावन के पुतला बनाके हरेक बछर वोकर मुहूं म आगी लगा देवथन। फेर का मतलब, अपन बुरई ल अपन तीर गंठिया के राख लेथन। तेकर सेती राम ल जनइया अउ समझइया पढेे -लिखे रावनमन पदोवत हें, राम बनके। कभु मान, पइसा, कभु अभिमान।
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