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कमई के जरिया

locationरायपुरPublished: Oct 15, 2019 04:18:31 pm

Submitted by:

Gulal Verma

नानकीन किस्सा

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कमई के जरिया,कमई के जरिया

बिहनिया छह बजे संगवारी के संग घूमे बर निकलेंन त देखेन सहर के सबो चउक-चउराहा के सड़क म थोर-थोर दूरिहा म पुलिसवालेमन खड़े रहिन।
मेहा संगवारी ले हांसत कहेंव- संगी! ए पुलिस वालेमन के का जिनगानी हे। बेचारामन ल कतेक मिहनत करे बर परथे। अतका सुनके संगवारी ह कहिस- यार, तेहा ए पुलिसवालेमन ल कतेक जानथस? अरे, ऐकरमन के का हे, ए तो रोज अपन एक नवा कानून बना लेथें। जब कभु मन करथे, कोनो भी फटफटीवाले ल, कोनो टरकवाले ल रोक लेथें अउ वोकर ले हजार-दू हजार वसूल लेथें। ऐकरमन के खींसा कभु खाली नइ रहय। हरदफे नोट ले भरे रहिथे। तभे मेहा देखेंव के एकझन पुलिसवाला ह कोनो टरकवाले ल रोक के जादा सामान (ओवरलोड) के सेती वोकर से बहसबाजी करत रहिस। वो टरकवाले ह अपन खींचा ले कुछ नोट निकालिस अउ पुलिसवाले के खींसा म डार दिस। पुलिसवाले ह मुस्कुरावत टरक ल आगू बढ़ा दिस। संगवारी ह हांसत कहिस- देखे, अब तो तोला बिसवास होइस न, के ऐमन कतेक मजा म रहिथें। संगवारी के बात सुनके मेहा मुस्कुरा देंव।

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