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जांगर ले ओगरथे गंगा

locationरायपुरPublished: Oct 18, 2019 05:34:22 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बिचार

जांगर ले ओगरथे गंगा

जांगर ले ओगरथे गंगा

मेहा बिहनिया घर के अंगना म कुरसी म बइठे अखबार पढ़त रहेंव। थोरिक दुरिहा म लइकामन रेती के घरघुंदिया बनाय के खेल करत रहिन। लइकामन अब्बड़ कोसिस करत रहिन, फेर घरघुंदिया नइ बनत रहय। रेती ह घेरी-बेरी भसक जाय। लइकामन उदास होगे। दूझन त रेती ल लात म बगरावत चलदीन। फेर, एकझन लइका ह उहां बइठके घरघुंदिया बनातेच रहिस। लइके के धियान ह अपन काम म लगे रहिस। थोरिक बेरा म वोकर किलकारी गुंजिस। वोहा तारी बजावत नाचे लगगे। वोकर नानुन घरघुंदिया ह बनगे। मेहा अनुभव करेंव- धीरज अउ जांगर ले सबो काम हो सकथे। कुछु कठिन अउ असंभव नोहय। हमर जांगर म अब्बड़ ताकत होथे।
जांगर ले गंगा ओगरथे। जांगर ले किसमत बनाथे। जांगर ले सबो काम सफल होथे। हमर जिनगी त संग्राम जातरा आय। जम्मो मनखे परानी जिनगी के महाभारत म कुरूछेत्र के मैदान म लड़े बर खड़े हें। जिनगी ल जिये बर कदम-कदम म परीक्छा देय बर परथे। कठिनाई ले लड़े बर परथे। बिपत ल सहे ल परथे अउ दुख-पीरा ल जाने बर परथे। भगवान ह जम्मो जीव म मनखे ल बुद्धिमान अउ सुग्घर बनाय हावय। तभे त कवि सुमित्रानंदन पंत ह कहे हे- ‘मानव, तुम सबे सुन्दरतम्।Ó
गीता म भगवान किरिस्न ह अरजुन ल करम अउ फरज करे के उपदेस दे हावय। जांगर ले त असंभव ह संभव हो जाथे। संसार ल जीते के सपना देखइया नेपोलियन ह कहय के- असंभव सब्द त मूरखमन के सब्दकोस म रइथे। पं. जवाहरलाल नेहरू ह कहय के – जीत त उही ल मिलथे, जउन ह जीते के कोसिस करथे। हमर देस के पहिली रास्ट्रपति देसरत्न डॉ. राजेंद्र बाबू अउ परधानमंतरी लालबहादुर सास्त्री के बचपन त गरीबी, दुख अउ संकट म बीते हे। उनकर घर म रात के पढ़े बर कंडिल म तेल नइ रहय। वोमन नदिया म तउरत पढ़े बर जावंय। डोंगा चघे पर पइसा नइ रहय। फेर, वोमन ह धीरज ल नइ छोडिऩ। वोमन अपन जांगर, बिस्वास अउ हिम्मत ले महान पुरुस बनिन। आज उनकर नांव अमर हे। मेहनत करइया ह आलस के तियाग कर देथे। वोकर जिनगी म अनुसासन, नियम अउ समे के कदर रहिथे। नेपोलियन ह अनुभव करे रहिस के, समे के चूक के सेती वोहा वाटरलू के लड़ई म हारे रहय।
हमन ल जिनगी के उद्देस्य बना के वोकर बर कोसिस करे बर चाही। सिकंदर ह अपन मजबूत इरादा अउ हिम्मत ले दुनिया ल जीते के सपना देखे रहिस। गांधी बबा ह मनखेपन, सत्य, परेम, अनुसासन अउ अहिंसा के सेती जग म आदर पाइन। बाबा साहब अम्बेडकर जिनगी म संघर्स करिन अउ महान बनिन। अमरीका के रास्ट्रपति जार्ज वासिंगटन ह मेहनत अउ नियम पालन के सेती महान बनिन। भारत के इतिहास म रानापरताप अउ सिवाजी के बहादुरी लिखाय हे। वोमन अपन स्वाभिमान बर जिनगीभर मुगल सेना ले टक्कर लिन, फेर हिम्मत नइ हारिन।
गरीब लइका विलियम ह जांगर अउ बिसवास ले अंगरेजी के बड़े कवि बनिस। भारत के आजादी बर लड़इया सुभास, तिलक, भगतसिंह, चंद्रसेखर आजाद अउ लछमीबाई, तात्या टोपे अउ अब्बड़ेे सहीदमन ह मजबूत संकल्प करतव्य भावना के सेती अपन-अपन परान लुटा दीन। हिंदी के कवि पं. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के जिनगी त दुख म बीतिस। फेर, वोकर कस धीरज धरइया, औढरदानी अउ सही मायने म महामानव कहां मिलही? हमन ल ये जिनगी ह सिरिफ खाय-पीये अउ पसु बरोबर जिये बर नइ मिले हे। वोकर एक उद्देस्य हावय। हमर जिनगी ल दया, परेम, मनखेपन अउ सदगुन ले भरके सत के रद्दा म रेंगाय बर चाही। जियव अउ सबो ल जियन दव- के सिद्धांत ल अपनाके सुवारथ भाव ल तियागे बर परही। ‘सर्वे भवन्तु सुखिन: – के मरम ल समझे बर होही। भेदभाव, घीन, अउ गरब भावना ल छोड़के सद्गुन ल अपनाय बर परही।
स्वामी विवेकानंद ह कहय के, कोसिस करत रहव, परयास झन छोड़व, हो सकत हे के कोनो मोती तुम्हर एक गोता के अगोरा म होही। जिनगी के लड़ई म थक के हार जवई, बइठ जवई अउ भाग जवई ह मौत आय। डरपोकना ह जिनगी म कभु आघू नइ बढ़ सकय। हमन ल नर-नारी म भेद नइ करके दूनों ल बरोबरी के दरजा देय बर परही। दूनों के जांगर ह जुरही त भुइंया ह सरग बन जाही। आज घलो पढ़े-लिखे अउ सभ्य समाज म बाबू अउ नोनी म भेद कर दाई के कोख म नोनी होय के पता करके वोकर हतिया कर दे जावत हे। ऐहा हमर देस अउ धरम के संस्करीति नोहय। आज के नवा जुग म नारी ह बरोबर नर के समान बूता करत हे। अपन जिनगी ल बोझा झन बनावव। वोला सही अरथ दव। कठोपनिसद् म कहे हे के- उठव, जागव अउ गियान पाय बर महान मनखे तीर जावव, काबर के गियान के मारग त तलवार के धार म रेंगे बरोबर हे।
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