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चिट्ठी लिखई-भेजई नदावत हे

locationरायपुरPublished: Dec 02, 2019 04:11:01 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बिचार

चिट्ठी लिखई-भेजई नदावत हे

चिट्ठी लिखई-भेजई नदावत हे

प हिली दूत भेजे के परंपरा रहिस। तेत्राजुग म भगवान राम ह रावन करा माता सीता ल सनमान सहित भेजे बर अउ जुध के नरसंहार रोके बर पहिली हनुमानजी ल, फेर अंगदजी ल पठोथे। वोइसने दुआपर जुग म जब किसन भगवान ह गोकुल के लीला करके मथुरा चल देथे त जसोदा ह देवकी बर संदेसा संबदिया करा पठोथे।
फेर 300 बछर पहिली आज के जमाना असन संचार के साधन मोबाइल, इंटरनेट, सामाजिक माध्यम नइ रहिस। आज के जइसे न चिकन-चिकन रद्दा रहिस, रेलगाड़ी, पानी जहाज, हवई जहाज, टेलीफोन न घोड़ा गाड़ी रिहिस। जेकर ले अपन संदेस, परेम, स्नेह अउ अपन भावना ल तुरते या दिनभर म दूर बइठे दाई-ददा, बहिनी-भाई, घरवाली अउ लइकामन के हालचाल जान लेतेन। पहिली तीज-तिहार म मइके के लेवाल ह पहुंचत-पहुंचत म पहुंचे।
राजामन के जमाना म परेवा ल संदेसा भेजे बर राखे रहंय। परेवा घलो बने दिमाग वाला चिरई ए, जेहा जेन रद्दा ले जाय रइथे, उही रद्दा ले लहुट जथे। वोकर बाद परेवा के जगा ल संदेसिया ले लिहिस। जेहा जेकर संदेसा ल लेके जिहां जाय बर रहय उहां वइसनेच हाव-भाव म संदेसा ल देवय। जब डाक-तार के जमाना आइस त संदेसिया घलो नदागे।
जब हमर देस ह अंगरेजमन के गुलाम रहिस त बछर 1766 लार्ड क्लाइव ह पहिली डाक बेवस्था स्थापित करिस। बछर 1774 वारेन हेस्टिंग ह कलकत्ता म पहिली डाकखाना स्थापित करिस। बछर 1786 मदरास म परधान डाकखाना स्थापित होइस। बछर 1793 बंबई म परधान डाकखाना ल स्थापित होइस। बछर 1854 भारत म पोस्ट आफिस 1 अक्टूबर देस के महत्व के रूप म घोसित करे गिस। फेर रेल डाकखाना, पोस्टकारड, लिफाफा, अंतरदेसी, मनीआडर सेवा सुरू होइस। बछर 1972 पिनकोड सेवा सुरू करे गिस। चि_ी ह सही जगा जाय लगिस अउ डाकखाना के एक पहिचान बन गिस। फेर स्पीड पोस्ट के सुरुवात होइस। कम्प्यूटर, मोबाइल, इंटरनेट, वाट्सअप, पेसबुक आदि के आय ले आजकाल चिट्ठी लिखई अउ भेजई ह नदावत जावत हे। अब लोगनमन रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट म जादा भरोसा करथे काबर के साधारन डाक देरी ले पहुंचथे। अब लोगनमन चि_ी-पतरी नइ लिखंय। फेर, सरकारी काम-काज ह आजो डाक बिभाग के महत्तम ल बनाये रखे हावय।
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