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गुरुजी के नियाव

locationरायपुरPublished: Dec 03, 2019 04:00:00 pm

Submitted by:

Gulal Verma

कहिनी

गुरुजी के नियाव

गुरुजी के नियाव

रामपरसाद के घर डाहर ले झगरा-लड़ई के कलबिल-कलबिल, बीच-बीच म रोये के सोर ह सुनावत हे। जब ले नवा बहुरिया आय हे, तब ले अउ जादा सुनावत हे। गांव के मनखेमन घर डाहर का होगे कहिके सकलावत हें। रामपरसाद अउ वोकर गोसइन भगवंनतीन ह गोहार पार-पार के रोवत हे।
बहू-बेटामन फुहरे-फुहर गारी-बखाना देवत हे। घर ले निकालव कहिके। खोर पार धकेलत हावंय। सकलाय लोगनमन तमासा देखत हावंय। पूछे गिस, का होगे तेमे सियानमन ल घर ले निकालव हव। ये सियानमन हमर जीना-हराम कर देय हे। दिन-रात किटिर-किटिर करत रहिथें। इंकर संग हमर जिनगी नइ पहाय, ददा हो। नियाव कर दव। बहू-बेटामन कहिथें।
गांव के गुरुजी कहिथे। बुढ़ापा अवस्था म ऐमन कहां जाहीं। बहू-बेटामन बताव, तब हमन नियाव करबो। कुछु नइ कह सकिन। तब गुरुजी कहिथे- तुमन ल बने लागही त मानहू, नइते सकलाय पंचमन नियाव करहीं। अइसे तो दाई-ददा के कतकोन रूप हे। जेकर महानता जगजाहिर हे। दाई के नाव ही जग म महान हे। कभु भी हमर ऊपर बिपत-बाधा, जर-बीमार, संकट आथे त सबले पहिली दाई-ददा ल गोहराथन। तेकर पाछू भगवान के नाव आथे। मोला बचा ले कहिके। सबझन जानथव। हमर सियानमन के जांगर नइ चलय तभो ले गोहराथन। वोमन भगवान ले जादा सक्तिवान होथे। उंकर आसीरवाद म ही दुख हरा जथे। जइसे घाम ले बांचे बर छइंया, पियास बुताय बर पानी, वोइसने दुख-तकलीफ ले बांचे बर दाई-ददा के आसीरवाद जरूरी हे।
गुरुजी कहिस- नानपन म हमन कतिक सताय हन अपन दाई-ददा ल। वोमन भूख रहि के हमर पेट ल भरीन। अपनमन खोररा भुइंया म सुतीन अउ हमन ल खटिया-कथरी म सुताइन। रातभर जाग के लइकामन ल नींदभर सुताइन। हमर सबो तकलीफ ल उठाइन। पढ़ा-लिखा के बने मनखे बनाइन। तब आज ये दिन देखे बर मिलत हे। आज सियानमन ल तुमन सतावत हव, काली तुंहर लोग-लइकामन तुमन ल सताहीं। ओरी-पारी, आगू-पीछू सबो के लगे हे। आज जइसे बोवत हव, काली वोइसने लुये बर परही। सियानमन बुढ़ापा म लइका मति के हो जथें। इंकर एकाठिन गलती ल सहन नइ करन कहात हव। तुहूमन तो काली सियान होहू।
गुरुजी समझावत कहिस- कतेक दिन बांचे हे ये सियानमन के जिनगानी ह। वोकर बाद सबो चीज-बस ह तुंहरेच तो आय। मोर गोठ-नियाव बने लागिस होही त पैलगी करके अपन सियानमन ले छिमा मांगव, नइ समझेव त तुमन जानंव। गुरुजी के गियान के गोठ ह सबोझन ल भाइस। बहू-बेटामन रामपरसाद अउ भगवंनतीन के पांव परिन अउ घर डहर लेगिन। गांव के लोगनमन घलो अपन-अपन घर चलदिन।
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