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बात, जनता के नेता चुने अउ नेता के कुरसी पाय के

locationरायपुरPublished: Jan 13, 2020 05:05:10 pm

Submitted by:

Gulal Verma

का- कहिबे

बात, जनता के नेता चुने अउ नेता के कुरसी पाय के

बात, जनता के नेता चुने अउ नेता के कुरसी पाय के

‘ओ आज मौसम बड़ा बेईमान है, बड़ा बेईमान है, आज मौसम। आने वाला कोई तूफान है, कोई तूफान है, आज मौसम…।Ó हिंदी फिलिम ‘लोफरÓ के ए गीत ल जब-जब सुनथंव, मोला चुनई अउ नेतामन के सुरता आ जथे। ऐला अइसे समझव। जइसे समे-समे म गरमी, बारिस, सरदी के ‘मौसमÓ आथे, वइसने हमर देस म ‘चुनईÓ ह आथे। लोकसभा से लेके पंचइत तक के चुनई होत्तेच रहिथे। अब बात ‘बेईमानÓ के हे त नेतामन ऊपर तो ‘बेईमानÓ होय के दाग कतकोन बछर ले लगतेच चले आवत हे। अउ ‘तूफानÓ तो चुनई जीतइया, कुरसी पवइया, सासन चलइयामन लाथें।
‘क्या हुआ है, हुआ कुछ नहीं है, बात क्या है पता कुछ नहीं है, मुझसे कोई ख़ता हो गई तो, इसमें मेरी ख़ता कुछ नहीं है…।Ó
नेतामन जनसेवक जइसे नइ ‘राजा-महाराजाÓ कस बेवहार करथें। जेकर वोट से सत्ता पाय रहिथें, उही जनता ल अपन परजा समझथें। टेटका ले जल्दी रंग बदलइया नेतामन ल देख के जनता सोच म पर जथे के ‘का हमन ऐमन ल चुन के कोनो जुरुम कर डरेन का!Ó हाथ जोड़ के, पांव पर के वोट मंगइया ल देख के, वोकर वादा ल सुन के तो वोला वोट देथन। वोमन सकल-सुरत, बोल-चाल, आदत-बेवहार ले वो समे तो भला मानुस जान परथे। फेर, चुनई जीते के बाद ‘बेईमानÓ निकल जही, तेला हमन कइसे जान सकथन भई!
‘काली-काली घटा डर रही है, ठंडी आहें हवा भर रही है, सबको क्या-क्या गुमां हो रहे हैं, हर कली हमपे शक कर रही है, फूलों का दिल भी कुछ बदगुमान है, आज मौसम..।Ó
नेतामन राजनीति ल पइसा कमाय के जरिया बना ले हें। हमर देस म जउन काम भगवान नइ कर सकय, वो नेता कर सकथे। नेता कोनो साहेब के चमड़ी उधेड़ सकत हे, यदि वो नेता के मनमुताबिक काम नइ करय त। गारी-गल्ला बक सकथे। नियम-कायदा तोड़ सकथे। नेता का नइ कर सकय। झूठा वादा करके जनता ल बरगला सकथे। अपन भाई-भतीजामन ल बेजा फायदा करवा सकथे। रिस्वत खा सकथे। घोटाला कर सकथे। नेता बुढ़वा होथे त अपन बेटा-बेटी ल मंतरी बनवा सकथे। नेता ल कुछु करे से ककरो ददा घलो नइ रोक सकय! नेता कोनो लफंगा ल पुलिस से बचा सकथे। ए सब नेता ह ऐकर सेती कर पाथे के वोकर तीर ‘ताÓ हे यानी ‘ताकतÓ हे अउ वोकर हाथ म ताकत कोन देथे? ‘जनताÓ। ‘ताÓ। यानी ताकत तो जनता के तीर घलो हे, फेर जनता अपन ताकत देखाय बर नइ जानंय।
‘ऐ मेरे यार ऐ हुस्न वाले, दिल किया मैंने तेरे हवाले, तेरी मजऱ्ी पे अब बात ठहरी, जीने दे चाहे तू मार डाले, तेरे हाथों में अब मेरी जान है, आज मौसम…।Ó जब जनता ह वोट डार के अपन किसमत ल नेता के हाथ म सौंप देथे त वोकर मन म रहिथे के ऐहा जीतही त हमर गांव-सहर-समाज बर कुछु करही। रही बात नेता के त वोहा सोचथे के जनता के सेवक नइ राजा बन के रइही। चुनई म करे खरचा ल बियाज समेत वसूलही। पांच बछर म अपन सात पूरखा बर धन-दौलत सकेलही। याने ‘अपना काम बनता, भाड़ म जाय जनताÓ के हालात होथे, त अउ का-कहिबे।
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