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उठव, जागव अउ आगू बढ़व

locationरायपुरPublished: Jan 14, 2020 04:44:17 pm

Submitted by:

Gulal Verma

युवा दिवस बिसेस

उठव, जागव अउ आगू बढ़व

उठव, जागव अउ आगू बढ़व

भारत भुइंया के महान गौरव स्वामी विवेकानंद के जनम 12 जनवरी बछर 1863 के कलकत्ता म होय रिहिस। उंकर ददा के नांव बाबू विस्वनाथ दत्त अउ महतारी के नांव भुवनेस्वरी देवी रिहिस। उंकर दाई-ददामन उंकर नांव नरेन्द्रनाथ रखे रिहिन।
नानपन बचपन ले ही नरेन्द्रनाथ धारमिक सुभाव के रिहिन। धियान लगाके बइठे के संस्कार उनला अपन दाई ले मिले रिहिस। एक पइत नरेंद्र एकठीन खोली म अपन संगवारीमन संग धियान लगाय बइठे रिहिन के अचानक कहूं ले वो खोली म करिया नाग आके ्रफन काढ़ के फुसकारे लगिस। वोकर संगी साथीमन डर के मारे उहां ले भाग के उंकर दाई-ददा ल बताइन। उन दउड़त-भागत खोली म पहुंचिन अउ नरेन्द्र ल जोर-जोर से अवाज देके बलाय लगिन। फेर नरेन्द्र ल कहां सुने बर हे। वो तो धियान म मगन हे ते मगने हे। ऐती नाग देवता अपन फन ल समेट के धीरे-धीरे कोठी ले बाहिर होगे। ये घटना ले दाई-ददा ल आरो होगे नरेन्द्र कोनो छोटे-मोटे लइका नोहे अउ भगवान जरूर वोला बहुत बड़े काम बर भेजे हे। ये बात बाद म साबित होइस तेला आज सरी दुनिया जानत हे।
इही नरेन्द्रनाथ अपन गुरु स्वामी रामकिरिस्न परमहंस के चेला बने के बाद स्वामी विवेकानंद के नांव ले दुनियाभर म प्रसिद्ध होइन। स्वामी विवेकानंद आज ले लगभग डेढ़ सौ बछर पहिली होइन फेर उंकर विचार ल जान के आज के पीढ़ी ल अचरज हो सकथे के ऊंच-नीच, जात-पात के जेन झगरा आज देस के बड़े समस्या के रूप धर ले हवय तेकर विरोध उन वो समे म करि ,जब समाज म ऐकर कट्टरता ले पालन करे जाय अउ ऐकर विरोध करई कोनो हंसी-ठठ्ठा नइ रिहिस। वो समे म उन नारी जागरन, नारी सिक्छा अउ दलित सोसित मनखे बर आवाज उठइन तेन बड़ जीवट के काम रिहिस।
अब वो समे आइस जब दुनियाभर म स्वामी विवेकानंद के नांव के डंका बाजे रिहिस। वो समे रिहिस 11 सितंबर 1893 अमरीका के सिकागो सहर म विस्व धरम महासभा के आयोजन। जेमा स्वामीजी बड़ मुस्किल ले सामिल हो पाइन। अउ जब उंकर बोले के पारी आइस तौ अपन गुरुजी के सुरता करके बोले बर सुरू करिन.। अमरीका निवासी बहिनी अउ भाई हो, बस अतके बोले के बाद धरमसभा के जम्मो देखइया सुनइया दंग होके खुसी के मारे ताली बजाय लगिन। हरदम लेडीज़ एंड जेन्टलमै सुनइयामन कभु सपना म नइ सोंचे रिहिन के कोनो वक्ता अइसे घलो हो सकथे जेन उनला बहिनी अउ भाई बोल के सम्मान देही। बाद म अपन भासन म हिन्दू धरम के अइसे ब्याख्या करिन के अमरीकावासीमन सुनते रहि गे। धरम के अतका सुंदर ब्याख्या वोकर पहिली कोनो नइ कर पाय रिहिन।
स्वामी विवेकानंद 4 जुलाई 1902 महासमाधि धारन करके अपन भौतिक सरीर तियाग दिन अउ सिरिफ साढ़े 39 बरस म कतको महान कारज करके ये साबित कर दिन के जीवन बड़े होय बर चाही लंबा नइ। 1984 से स्वामी विवेकानंद के जनमदिन ल युवा दिवस के रूप म मनाय जाथे।
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