scriptगांव के पहिचान ‘खैरखादाड़ | chattisgarhi sahitya | Patrika News

गांव के पहिचान ‘खैरखादाड़

locationरायपुरPublished: Jan 20, 2020 04:04:36 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बिचार

गांव के पहिचान 'खैरखादाड़

गांव के पहिचान ‘खैरखादाड़

छ त्तीसगढ़ के गांव म एकठन मैदान होथे, ऐकर अब्बड़ उपयोग होथे। जेन ल खैरखादाड़ कहे जाथे। गांव के बस्ती ले दूर ये मैदान म गांव के लोग-लइकामन हर खेलकूद करथे। ये मैदान म आनी-बानी के सारीरिक करतब के अभ्यास करे जाथे। जइसे तलवारबाजी, लउठी के करतब, आगी ले खेले वाला अभ्यास, कुस्तीबाजी। ये जगा म मैदानी खेलकूद घलो होथे। जइसे गिल्ली-डंडा, पिट्टूल, खो-खो, कबड्डी, दऊड़़, डंडा-पचरंगा, खिला गड़ौनी, गेड़ी दऊड़़।
तिहार के दिन म लोगनमन इहां सकलाथें। खासकर देवारी के तिहार म गांव के युवामन अपन करतब दिखाथें। वोकर करतब न के प्रतियोगिता घलो होथे। आज के बेरा म खैरखादाड़ के मैदान म बेजा कब्जा होत जावत हे। सहर जइसन अब गांव म घलो खेल मैदान के कमी होवत हे। खैरखादाड़ के आकार हर कम होवत जात हे। 5-7 एकड़ के जमीन वाला मैदान के जगा अब 1-2 एकड़ के जमीन दिखथे।
सहर डहर लोगनमन के मोह बढ़े के सेती गांव के जुवानमन म अब खैरखादाड़ बर रुचि कम होवत जात हे। अब लोक करतब अउ खेल के बदला म किरकेट ह अपन जगा बना ले हे। अब गांव के खैरखादाड़ म किरकेट के खेल ह जादा दिखथे। खेल के सिवाय धारमिक कार्यक्रम के आयोजन घलो खैरखादाड़ म होथे। बड़े स्तर के सामूहिक धारमिक आयोजन बर ऐहा बने जगा होथे। जइसे देवारी के बखत म गोवरधन पूजा होथे। गांव म गाय-बैला अउ सब्बो मवेसी ल खैरखादाड़ म जुरिया के वोकर पूजा-पाठ करे जाथे। मवेसी ल गुरतुर खिचड़ी खवाये जाथे। गांव म कोरी-खैरखा गाय-गरुवामन बर अब्बड़कन कलेवा तइय्यार करे जाथे। ये कलेवा ल खैरखादाड़ म परसाद के रूप म गाय-गरुवा ला खवाय जाथे।
दसहरा के दिन खैरखादाड़ म रावन मारे के आयोजन होथे। इहां मंच बनाके रामलीला करे जाथे। फसल आय के बाद गांव म मेला होथे। ऐला मड़ई कहिथे। ये मड़ई ह अलग-अलग गांव म अलग-अलग समे म होथे। ये मेला-मड़ई ल खैरखादाड़ म करे जाथे।
सहर हो या फेर गांव, मैदान के अब्बड़ महत्व हे। पहली सहर म हर पारा म एकठन नानकुन मैदान होय, जिहां पारा के लइकामन खेलकूद करें। अब तो मैदान म कारोबारीमन ह दुकान बना डारे हे। अइसने गांव म बने मैदान म भवन बना दे जात हे। अब गांव अउ सहर के लइकामन बर मैदान के कमी होत हे। जेकर सेती घरे म मोबाइल के गेम म भुलाये रहिथें, जउन ह स्वास्थ्य बर घातक हे। मैदान के कमी के सेती पहली जइसन पुरखौती खेल अब लइकामन नइ खेल पायं गरमी के छुट्टी म गांव के मैदान ह लइकामन ले भरे राहय। छत्तीसगढ़ सासन ह आजकाल गांव के रचनात्मक परंपरा ल बढ़ाय के बीड़ा उठाय हे। इही सिलसिला म नरुवा, गरुवा, घुरवा, बारी लेे सब्बो गांव के विकास अउ पौनी-पसारी लेे पुरखौती व्यवसाय ल फेर विकसित करे बर उपाय करे हे। ऐकरे जइसन गांव म खेलकूद ल बढ़ावा द ेबर खैरखादाड़ के संरक्छन करे बर कोसिस करे बर चाही।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो