scriptबरदान | chattisgarhi sahitya | Patrika News

बरदान

locationरायपुरPublished: Feb 16, 2020 11:20:33 pm

Submitted by:

Gulal Verma

नानकीन किस्सा

बरदान

बरदान

बसंत परब आ गे रहिस हे। परकरीति ह रितु के राजा के सुवागत म अपन सबो कलामन ल बिखेर दे रहिस। परसा ह अपन जवानी उप्पर इंतरावत रहिस। संग थोरकिन दूरिहा म ठाड़े बुढ़वा बंमरी ल कुड़कावत रहिस। बंमरी ल वोकर नदानी उप्पर तरस आवत रहिस। बंमरी ल दुख घलो होवत रहिस। फेर, जइसे के सदा अइसन होवत आय हे- बड़का-बुढ़वामन के बात न कोनो सुनंंय, न कोनो मानंय। परसा बोलिस- देख ले, मोर जवानी कइसे सुग्घर खिलत हावय। संग म मोर लाल-लाल फर के उपयोग करके लोगनमन फाग खेल के लाल होवत हें। अउ, तोला तो मनखेमन कांटा के सेती छूये बर घलो पसंद नइ करंय।
बंमरी ह कहिस- ऐमा का नवा बात हे, बेटा। फेर, तोर जवानी ह थोरिक दिन के हे। बसंत के जातेच तेहां मुरझा जबे। फेर, मोला देख ले। कतकोन बछर ले अइसनेच हंव। रहिस बात छूये अउ लाल होय के त मोला छू लेय भर ले मनखे लाल हो जथें। त फेर घमंड झन कर। ऐला परकरीति के बरदान समझ अउ खुसी मना। ये सच ल समझ।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो