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पानी हे त काली हे

locationरायपुरPublished: Mar 31, 2020 03:48:15 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बिचार

पानी हे त काली हे

पानी हे त काली हे

जल ह जिनगी हरय। आज धीरे-धीरे जल हा जिनगी के मोल ले जादा बाढ़त दिखत हावय। ऐकर कारन हरय पानी ल बेमोल फोकटिहा समझई। पानी के कोनो मोल नइ.े। ऐहा फोकट के जीनिस हरय । एही सोच अउ समझ ह आज पानी के बरबादी के सबले जबर कारन हरय। पानी के खरचा ह बचाव ले जादा गंभीर बात हरय। जइने पाथन तइसने पानी के अटपटांग खरचा ह अपनेचभर बर नइ, सरी संसार बर समसिया बनत जावत हावय।
पीये के पानी म अपन मोटर, कार, फटफटी, अंगना-दुवार ल कतको घंटा ले मनगरजी धोवई अउ अपन मल-मल के नहवई ह कोनो समझदारी के बुता नोहय। हमन किताब के जम्मो गियान ल धरे हावन। वोला जानथंन, फेर मानंन नइ। पानी बचाय बर हे। नदिया, नरवा, तरिया, डबरी, कुआं, नहर अउ बांधा के पानी ल अपन बपौती समझ के मनमरजी खरचत हावन। पीये के पानी के स्त्रोतमन ह बिकास के भेंट चढ़त जावत हे। धरती म तीन चौथाई पानी के भरमार होय ले घलो पीये के पानी भारी कमी हावय। अतका होय ले घलो मनखेमन के चेत नइ चघय। घर के नल म पानी नइ आवय त टेंकर मंगा के अपन सउंख ल पूरा कर लेंथे।
सबो जघा एक बरोबर दसा नइये। हमर देस म राजस्थान जइसन जघा म पानी के सबले जादा बिकट समसिया हावय। उहां एक गघरी पानी बर एक कोस ले जादा रेंगना रेंगे म पानी बड़ मुसकुल ले मिलथे। इहां कतको जघा म मनखे के जी ले जादा जल के कीमत हावय। अइसन जघा म आधा जिनगी पानी के जुगाड़ म बीत जाथे। आज दुनिया के बाढ़त अबादी के संगे-संग औद्योगिक बिकास ह पीये के पानी के समसिया ल जादा बढ़ावत हे। बिकास के संगे-संग परदूसन ह बाढ़त हावय।
सबले जादा साफ पानी मनखे ल पीये बर चाही। मनखे अउ परियावरन ल फरी पानी के भारी जरूरत हावय। ऐकर संग खेती-किसानी बर घलो साफ पानी चाही। पानी के कमी आजो हे त फेर अवइया समे म का होही? तभो ले देस-परदेस, समाज म पानी बचई ह कोनो मुद्दा नइ बनत हे। आज जरूरत हे जल बचाय के, बरसा के एक-एक बून्द पानी ल सकेल के रखे के। कभु हमर भारत माता के कोरा म हजारों नदिया रिहिन। आज ऐकर गिनती सैंकड़ा म आगे हे। गांवमन म तरियामन सूखा के पटाव हे। कालोनी बस गे। आज नदावत तरिया, नरवा, नदिया, कुआंमन ल बचाय के खच्चित जरूरत हे।
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