छत्तीसगढ़ के महाकवि ‘विप्र
रायपुरPublished: Jul 06, 2020 06:11:37 pm
सुरता म
छत्तीसगढ़ के महाकवि ‘विप्र
छत्तीसगढ़ के विभूति स्व. पंंडित द्वारिका परसाद तिवारी ‘विप्रÓ के जनम 6 जुलाई 1908 के दिन होइस। ददा पंडित नान्हूराम तिवारी अउ महतारी के नाव देवकी रिहिस। वोहा हिंदी, छत्तीसगढ़ी अउ बिरज भाखा म लिखत रिहिन। वोकर सिक्छा मुनिसपल हाईस्कूल बिलासपुर म होए रिहिस। विप्रजी जब चउथी अंगरेजी म पहुंचिन तब वोकर किलास के सिक्छक सरयू परसाद तिरपाठी रिहिन। बछर 1935 म सरयू परसाद तिरपाठी अउ विप्रजी बिलासपुर म भारतेन्दु साहित्य समिति के गठन करे रिहिन।
भारतेन्दु साहित्य समिति के अधिवेसन म डॉ. रामकुमार वरमा, डॉ. बलदेव परसाद मिस्रा, डॉ. हरिवंश राय बच्चन जइसन नामी साहित्यकारमन पधारे रिहिन। सिक्छा के बाद वोहा इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया रायपुर म नौकरी कर लिन। उहां वोकर मन नइ लागिस। आगू वोहा बिलासपुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर म नौकरी करे लगिन। अपन योग्यता के चलत वोहा प्रबंधक बन गिन। विप्रजी के एकठिन रचना पढ़व।
धन-धन रे मोर किसान।
धन-धन रे मोर किसान।
मय तो तोला जानेंव तय अस।
भुइंया के भगवान।
‘धमनी के हाटÓ ओकर सिरिंगार रस के कविता हवे।
तोला देखे रहेंव गा, तोला देखे रहेंव गा।
धमनी के हाट म बोइर तरी।
लकर-लकर आये जोगी, आंखी ला मटकाये।
कइसे जादू करके, मोला सुक्खा म रिझाये।
स्व. लखन लाल गुप्ता, स्व. बाबू लाल सीरिया, स्व. गेंदराम सागर जइसन कविमन के वोहा साहित्यिक गुरु रहिस। 2 जनवरी 1982 के दिन वोहा संसार ले विदा हो गिन। छत्तीसगढ़ के महाकवि के रूप म वोहा हमेसा सुरता करे जाही।
परमुख रचना
सुराज गीत, गांधी गीत, योजना गीत, फागुन गीत, डबकत गीत, राम अउ केंवट संगरह, कांग्रेस विजय आल्हा, सिव स्तुति, क्रांति परवेस, गोस्वामी तुलसीदास जीवनी, महाकवि कालिदास कीरति, कुछु-कांही।