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पहिली घटा आइस त नांव परिस घटारानी

locationरायपुरPublished: Oct 19, 2020 04:58:58 pm

Submitted by:

Gulal Verma

नवरात परब

पहिली घटा आइस त नांव परिस घटारानी

पहिली घटा आइस त नांव परिस घटारानी

जनसुरिती हे कि बिहनिया महेस (काल्पनिक नांव) अपने पांच साल के लइका संग बइला धरके खेत कोती चल दिस। चारा चरन दे, तेहा देखत रहिबे बेटा कहिके महेस ह खेत म निंदे बर निहरगे। बासी खाय के बेरा नजर भर लमइस त कोनो नइ दिखिस। ददा ल फिकर होय लागिस। जंगल म मुंधियार होय तक किंजर-किंजर के खोजिस फेर नइ मिलिस। तब घर म आके जमाही गांव के जम्मो मनखे ल सकेल के बताइस।
गांववालामन जुरिया के कंडिल, चिमनी, भभका धर ऐती-ओती घातेच खोज करिन। तभो ले नइ मिलिस। थक -हार के घटारानी माता चौड़ी म सबोझन गिलौली करे लागिन कि हे माता हमन तोर सरन म हावन वो लइका के रक्छा कर के झटकुन मिलवा दे कहिके अपन-अपन घर आगे। बइला त घर आगे राहय फेर लइका के कोनो आरो नइ रिहिस। जइसे-तइसे रतिहा पहइस। मूंधरहा ले सबोझन खोजें बर अउ निकलगे। खोजत-खोजत गांववालामन घटारानी ठऊर आगे। ताहन गंवाय लइका ल देखके खुसी के ठिकाना नइ रिहिस।
एकक करके जम्मोझन पइस-पोटारिस अउ पूछिस- बेटा सावन -भादो के महीना म ये बियाबान जंगल म रतिहा कतिहा लुकागे रहेस। तोला सेर, भालू हाथी, बेंदरा, कुकुर-माकर के अब्बड़ डर लागिस का। लइका कहिस कि मेहा जंगल म भटक गे रहेंव। रोवत-धोवत दाई-ददा ल घातेच खोजेंव। आधा रातकुन जंगल म छक-छक ले अंजोर होगे। उज्जर-उज्जर उन्हा पहिरे एकझन दाई आइस। मोला पाके अपने संग लेग गे। उहां गंज अकन मिठई, रोटी, भात, साग खवइस। खात्तेसाठ सुत गेंव। बिहनिया उठेव तब माता ह कहिस- बेटा तेहा इही मेरे रहिबे। तोर ददा-दाई खोजत-खोजत आत हावय कहिके चल दिस। गोठ ल सुनके गांववाला के मन म घटारानी माता के परति सरधा बाढग़े।
खोह म बइठे हे घटारानी : धसकुंड जमाही के जंगल म विराजमान देवी घटारानी के मूरति दू फीट ऊंच हावय। माता के रूप लाल हे। चट्टान के खोह म बइठे घटारानी माता के दरबार मनमोहनी लागथे। बताथे कि अंचल म सबले पहिली घटा इहंचा आथे, वोकर पाछू बगरथे तब पानी गिरथे। घटा के रानी मान के भगत मन देवी ल घटारानी कहिथें। इक्कीस बहिनी म घटारानी के नांव हे। लकठा के बहिनी म जतमई मां, गरजई दाई, टेंगनही माता, रानी माई, रमई पाठ, खोपली पाठ, झरझरा दाई, जटियाई माई, निरई माता, महामाया, सकराही देवी हावय।
अस्सी के दशक म जलिस जोत : अस्सी के दसक म लोहरसी के पंडित देवेन्द्र तिवारी के मंत्र जाप के संग गांववासीमन पहिली जोत बारिस। एक ले दू अउ थोक-थोक करत आज हजारों जोत जलथे। जेन मनोकामना पूरा होय के परमान आय।
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