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संस्कार

locationरायपुरPublished: Oct 29, 2020 04:16:54 pm

Submitted by:

Gulal Verma

कहिनी

संस्कार

संस्कार

एकझन मनखे के दू बेटी अउ एक बेटा रिहिस । बेटा-बेटीमन के बीच आपस म बहुतेच परेम रिहिस। बेटीमन ससुरार चल दिस । बेटा के बिहाव होगे। बहू आगे। परिवार बाढग़े जरूर फेर सुख अउ सांति खतम होगे। रात दिन बहू-बेटा के बीच हरहर -कटकट। बिकरित माहोल म नतनीन आगे। तनावग्रस्त परिवार म पले-बढ़े लगिस नतनीन ह। सियान- सियनहिन दुनिया ले बिदा होगे। नोनी के नौकरी-चाकरी लगगे। बिहाव के लइक होगे। फेर, वोकर बर योग्य लड़का नइ मिलत रहय । लड़की ह कोनो लड़का ल पसंद नइ करय।
लड़की के नाना ह पूछिस के तोला कइसन लड़का चाही। लड़की कहिथे- नानाजी तैं झन जान। तैं सुन नइ सकस। नानाजी ह जिद करत कहिस के हमूमन सियान हो चुके हन बेटी। तोर दादी-दादा कस कब ढलंग देबो ठिकाना नइये। दू बीजा चांउर टिक देतेन तहन सांति से मरतेन। जिनगीभर तकलीफझन पावस तइसन लड़का मिल जतिस बेटी। लड़की कहिथे- मोला जिनगीभर तकलीफझन मिलय कहिके महू सोचथंव नानाजी। मोला अइसन लड़का चाही जेहा दुनिया म बिगन दाई-ददा के होय। जेकर आगू पीछू कोनो झन हो।
नानाजी हांसिस अउ कहे लगिस के बिगन दाई-ददा दुनिया म आज तक कोनो जनम नइ धरे हे बेटी। तैं कइसे बात करथस। नतनिन कहिथे- मेहा बने बात करत हंव नानाजी। जेन लड़का के दाई-ददा होथे न नानाजी तेहा अपन बीबी बर मया नइ करय। वोहा रात-दिन अपन दाई-ददा के सेवा-जतन करइया बहुतेच खराब मनखे होथे। जेन लड़का के भाई-बहिनी नइ होवय नानाजी तेहा बने मनखे नइ होय। जिनगीभर झेले अउ भोगे माहोल ह लड़की के मन म अतका घर कर ले रिहिस के लड़की ह अपन महतारी के बारे म सोचय। महतारी के कुसंस्कार के सेती लड़की के जिनगी म अंधियार बगरगे। महतारी ह मुड़ धरके बइठगे। पहिली बेर जिनगी म अपन गलती स्वीकार करिस। फेर समे अतका गुजर गे रहय के कोनो फायदा नइ होइस। लड़की ल योग्य लड़का नइ मिलिस। बपरी जिनगीभर कुंवारी रहिगे।
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