राजिम दाई अउ राजीवलोचन मंदिर
बिचार

तइहां के बेरा छत्तीसगढ़ ल दछिन कोसल काहत रहिन। छत्तीसगढ़ के राजिम के सांस्करीतिक अउ ऐतिहासिक उपलब्धि के पाछु महान नारी के भक्ति अउ सेवाभाव जुड़े हावय। जे नारी ह अपन निस्वार्थ भाव ले भगवान बिसनु के भगती करके अपन करम करके अपन वंस के नाव जगाइन। कहिनी मिलथेे के- ‘तइहां के बेरा जब राजिम ह हर दिन महानदी ल पार करके तेल बेचे बर जाथे। एक दिन तेल बेचत-बेचत एकठन पथरा म हपट के गिर जथे अउ तेल बोहा जथे त सोचत-सोचत रोय ल लागथे। उदास मन होके घर लहुटे बर धरथे त देखते के बरतन म तेल भर जाये रथे।
राजिम ह वोला बेचे बर जाथे। दिनभर बेचे के बाद बरतन म तेल भराय रहिथे। सांझकुन घर पहुंचते तब भरे तेल के बरतन ल देख के वोकर सास अउ पति ह कहिथे- बरतन ह रिता नइ होवे अउ आन दिन ले जादा पइसा लाने हस। तब होकर सास अउ पति ह सोच म परजथे। तब सच्चाई के पता लगाये बर दूसर दिन वोकर सास ह राजिम संग जाथे। काली के बीते घटना ल अपन सास ल बताथे के इही पथना म हपट के गिरे रेहेंव। राजिम ह वोकर बाद तेल बेचथे तभो लेे वोकर तेल हानइ सिराय। ये बात ल अपन बेटा कना बताथे। त सभो झन सुनता बंधाथे अउ वो पथरा ल अपन घर लान के घानी कुरिया म रखके पूजा करथे। राजा जगपाल ल सपना आथे के एक मंदिर बनाके बिसनु के मूरति रखय।
राजिम दाई के नाव से परिस राजिम के नाव!
राजा ह मंदिर तो बनवा डाहरथे, फेर मूरति कहां ले लानय। लोगनमन मुंह ले राजा ह सुनथे के राजिम घर पथरा के मूरति हावय। वो राजा ह वो मूरति ल राजिम कना ले मांगथे त राजिम ह एक बात कहिथे ये मूरति ल जिहां रखबे त ये मूरति के नाव के आधू मोर नाव रखबे। राजा ह मान जथे अउ वो मूरति ल लेग के मंदिर म स्थापित कराथे। वो बखत ले राजीमलोचन (राजीवलोचन) नाव धराइस अउ जगा के नाव के राजिम।’ राजिम दाई बिसनु के भगतीन रिहिन।
ये परकार राजिम दाई अपन ईमानदारी, लगन, सच्चाई अउ सबले अच्छा करम के सेती महान् होइस। अपन करम अउ भगती के सेती समाज म कीरति पाइस। जेला तेली वंस अपन आदर्स मानथे।
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