आज नवा हे, काली जुन्ना हो जही
समाज

नवा बछर के आवभगत करे बर जनमन जोरदार तियारी करत दिखिन। अइसन बेरा म जुन्ना बछर 2020 के कलेंडर ह अपन बुड़ती बेरा के घड़ी ल टकटकी लगाय ताकत दिखिस। वोहा, बात ल समझ गे रिहिस कि जउन कलेंडर ह रोज-रोज तारीख ल बदलत रहिस। उही कलेंडर ल साल के आखिरी दिन माने 31 दिसम्बर के तारीख ह सदा -सदा बर बदल दिही। मानुस जिनगी के तको इही सच्चाई हावय। जउन आज हे, वोहा काली नइ रहय। जेन ह आज नवा हे, तेन हर काली खच्चित जुन्ना हो जही।
जुन्ना बछर के कलेंडर ये सच्चाई ल बतावत हर दिन, हर घड़ी भरपूर मजा के साथ जिनगी जिये के संदेसा देवत रहिस। वोहा सही मायने म खतम होवत जिनगी के बजाय नवा जिनगी के सुरू होय के तको संदेसा देवत रहिस। ‘रूख के गिरत पिंवरा पत्ता ह बताय हे कि जिनगी के ऐला अंत होहय, येहा तो सिरिफ छाव हे।’
जुन्ना बछर के कलेंडर ह अपन चेहरा म झुररी अउ डोकरापन के भाव ल छोड़ के नवा चमक ल बगरावत रहिस। अउ नवा बछर के कलेंडर बर अपन जगा ल खुसी-खुसी छोड़े बर तियार दिखिस। काबर कि वोहा बछरभर अपन काम ल मन लगा के करे रहिस। ते पाय के वोकरर भीतर आत्मसंतोस के भाव भराय रहिस।
जुन्ना बछर 2020 के कलेंडर ह बछरभर अपन धरम अउ करम ल ईमानदारी से निभाय रहिस हे। फेर, वो बिचारा के माथा म कोरोना वायरस कोविड 19 ह सदा-सदा बर कलंकित टीका कस गोदा गिस। अइसन कलंक के पीरा ल तको सहत-सहत वोहा बतावत रहिस कि जिनगी म बड़े ले बड़े बिपत के बेरा म तन अउ मन ल मजबूत बना के रखे बर चाही।
बछर के आखिरी घड़ी म तको जुन्ना कलेंडर के पन्नामन ह नान्हे-नान्हे नोनी-बाबू कस किलकारी मारत कहत रहिन कि दिन गिनत हाथ म हाथ धरे बइठे रहे ले बेरा ह मुठा म भराय रेती कस गिरत जाथे। ते पाय के अइसन सोच ल छोड़ देय बर चाही की अब उमर पहागे। अवइया बेरा म कोन जनी का का होही। अइसन बात ल सोच-सोच के अपन हिरदय म चिंता के पथरा म लदकना बने बात नोहय। काबर कि अइसन चिंता ह मनखे ल बुढ़वा बना देथे।
अइसन बिचार ले बचे बर हे त रोज-रोज कांही कुछु बने-बने समाजिक काम म जुड़े बर चाही। जिनगी के आखिरी दिन ल कोनो नइ जानय। फेर, भलाई के काम म लगे रहू त जिनगी के आखिरी दिन ह तको सुख-सांति के साथ बीत जाही। बुढ़वा होवई, जुन्ना होवई, बात ह तो संसार के रीत आय। ऐला जम्मोझन जानथे। अउ ऐला कोनो रोक नइ सकय। तभो ले कतकोझनमन ह डोकरा होवत हों, सोच-सोच के फोकटइहा चिंता-फिकर म परे रहिथें।
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