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हमर संस्करीति म लाड़ू के महत्तम

locationरायपुरPublished: Jan 18, 2021 04:36:59 pm

Submitted by:

Gulal Verma

परंपरा

हमर संस्करीति म लाड़ू के महत्तम

हमर संस्करीति म लाड़ू के महत्तम

लाडू के नाव सुनतेच मुंह म मिठास के लार अपने अपन आय लगथे। अइसे लागथे के मुंह म गुरतुर गुड़, सक्कर या मधुरस घुर गे। हमर सनातन परंपरा म लाड़ू के गाथा युगों-युगों पहिली के हे। भगवान सिरी गनेस के स्वरूप ल हमन बिना लाड़ू के सोच घलो नइ सकन।
पूरा भारत देस के आने-आने राज्य म लाड़ू के अलग-अलग महत्तव हे। लाड़ू के कतकोन किसम हे। वोकर बनाय के तरीका घलो कतकोन किसम के हे। लाड़ू के बनई मौसम से घलो जुड़े हे। अलग-अलग मौसम म अलग-अलग लाड़ू बनाय के चलन हे।
छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढिय़ामन के जिनगी म घलो लाड़ू के मिठास रग-रग म घुरे हे। इहां सुखिया अउ दुखिया लाड़ू घलो होथे। बिहाव म बराती ल परघाय अउ जेवन कराए के, समधीमन ल पनवार खवाय के अउ जोरन के झांपी म जोरे के लाड़ूु अलग-अलग होथे। कहुं बुंदी लाड़ू, त कहुं करी लाड़ू ले बरतिया के सुवागत करथें। दुलहिन के जोरन म पुरन लाड़ू जोरथें। सियानमन बताथें के बेटी के ससुराल म जब समधीन भेंट बर जाथें त बेटी के दाई ह अपन समधीन बर मजाक म भोकवा लाड़ू ुअउ लेडग़ा लाड़ू बनाथें। छत्तीसगढ़ के परंपरा मुताबिक गरहोनी महतारी के सधोरी म नौ किसम के लाड़ू बनथे। जेमा डुरही, अरसी, सुजी, मगज, मेथी, गेहूं पिसान, नरियर, मंगला अउ चुड़ी लाड़ू होथे। लइका होय के बाद छेवारी म छेवारी लाड़ू बत्तीसा लाडु बनाय जाथे। जेमा बत्तीस किसम के जड़ी-बूटी रहिथे।
छत्तीसगढ़ म लाड़ू दान दे अउ बांटे जाथे
मकर सकरात म छत्तीसगढ़ म तिली लाड़ू, मुररा लाड़ू, राई लाड़ू, फल्ली लाड़ू, लाई लाड़ू के दान दे अउ बांटे के बिसेस महत्तम रहिथे।
भादो के अंधियारी पाख म बहुरा चउथ के दिन महतारीमन अपन लइकामन बर उपास रहिथें। जेमा भगवान गनेस पिसान या कसार के लाड़ू के भोग लगा के बेटामन बर खुसाली के पराथना करथें। छत्तीसगढ़ म होरी तिहार म किसमिस अउ मउहा के लाड़ू तको बनाय अउ बांटे जाथे। जेमा कहुं-कहुं भांग तको मिलाय जाथे। लाड़ू चाहे कइसनो होवय फेर वोकर आयुरवेदिक महत्तम होथे। जानकारमन बताथें के लाड़ू हमन ल कतकोन रोग ले बचाथे अउ देह के कमजोरी ल दूरिहा करथे।
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