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छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी ‘सिवरीनरायन’

locationरायपुरPublished: Mar 08, 2021 05:24:20 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बिचार

छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी ‘सिवरीनरायन’

छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी ‘सिवरीनरायन’

सिवरीनारायण पराकिरीतिक छटा ले भरे धारमिक नगरी हे। जेहा ‘छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी’ के नाव ले परसिद्ध हे। सुग्घर अउ चतुरभुजी भगवान बिसनी के मूरति जादा हे। तेकरे सेती स्कंद पुरान म ऐला सिरी पुरुसोत्तम अउ सिरी नरायन ा छेत्र कहे गे हे। जम्मो जुग म ये नगर के अस्तित्व रहे हे।
सतजुग म बैकुंठपुर, तरेताजुग म रामपुर अउ द्वापरजुग म बिसनुुपुरी अउ नरायनपुर के नाव ले परसिद्ध ये नगरी मतंग रिसी के गुरुकुल आसरम अउ सबरी के साधना स्थली घलो रहे हे। इही जगा म तो सवरीन दाई जेन ह संवरा जाति के रिहिस, अपन गुरुदेव मतंग मुनि के आसरम म अपन सुवामी सिरीराम के अगोरा करत अपन पूरा जिनगी ल बीता दिस। अइसे कहे जाथे कि तरेता युग म भगवान राम ह सबरी के हाथ ले कंदमूल खाय रिहिस। सवरीन दाई के सुरता म ‘सबरी-नरायन नगर बसे हे। भगवान सिरीराम के नारायनी रूप आज घलो इहां गुप्त रूप ले विराजमान हे। इही सेती ऐला ‘गुप्त तिरिथधाम’ कहे गे हे। सिवरीनरायन के महत्तम परयाग, कासी, बदरीनरायन अउ जगन्नाथपुरी ले कोनो मायने म कम नइये। जुन्ना समे ले ही दक्छिन कौसल के नाव ले जनइया ये छेत्र धारमिक अउ संस्करीतिक नजर ले अड़बड़ समरिद्ध रहे हे।
सिवनाथ, जोंक अउ महानदी के हे संगम
सिवरीनरायन म सैव, बैसनव, जैन अउ बौद्ध धरम के मिली जुली संस्करीति हे। जांजगीर जिला ले 45 किमी दूरिहा मैकल परबत सिरिखंला के बीच म सिवनाथ, जोंक अउ महानदी के संगम म स्थत सिवरीनरायन ल तिरिथ नगरी परयाग जइसे मानियता मिले हे। इहां हर बछर माघी पुन्नी ले महासिवरातरी तक पंदरा दिन ले मेला भराथे। इहां लछमी नरायन भगवान के भव्य मंदिर हे। दूसर जगा म भगवान बिसनु के चोबीस अवतार के मूरति हे। संतोषी दाई के मंदिर, राधाकिरिस्न मंदिर तो दरसन के लाइक हे। इहां मां अन्नपूरना के मंदिर घलो हे। भगवती अन्नपूरना द्वापर जुग से इहां विराजमान हे। इहां घलो दरसन करइयामन के अब्बड़ भीड़ रहिथे।

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