हाथी हमर साथी
रायपुरPublished: Apr 12, 2021 04:05:28 pm
समाज
कठलहा पेपर पढ़त अचानक अपन बाबूजी ला कहिथे।
आज दू खबर अइसे पढ़ेंव जे मोला सोचे बर मजबूर कर दिस। पहली तो ये की हाथीमन दूझन मनखे ल पटक-पटक के मार डरिस अउ दूसर खबर ये कि केरल म फल म फटाका मिला के गरभवती हथिनी अउ वोकर लइका ल मार डरिस
बाबूजी कहिस- महु पढ़े हो बेटा। ये हमरमन बर बड़ बिचार करे के समे हे। पूरा मानव जीवन खतरा म हे। कठलहा- बाबुजी, जब हमन नान-नान रेहेन त ते कहिनी सुनावस। हाथी वो कहिनी हीरो रहाय अउ मनखेमन के संगवारी रहय। कभु-कभु गांव म हाथी आय ता घरोघर सुपा म धान दे, नारियर फोरवाय अउ लइकामन ल वोकर पीठ म बैठाये त कतना मजा आय। फिलिम म कतका बने रोल करथे। सब के मदद करे। फेर ये हाथीमन अतक उपदरवी काबर होगे बाबूजी?
बाबुूजी- हव बेटा, हाथीमन तो आज घलो हमर संगवारी रतिस। फेर, हमर लालच के सेती आज बैरी होगे। कठलहा- बने फरिया के बताना गो? बाबूजी- पहली हाथीमन जंगल मं आजादी के साथ घूमे-फिरे।
जंगल के होवत हे मनमाड़े बिनास
बाबूजी कहिस- आज जंगल के मनमाने बिनास होवत हे। पूरा लकडी़ काट-काट के आज जंगल ह मैदान बन गे हे। हाथीमन बर खाये पिये के समस्या हे। वोकर दाना पानी के जंगल म साधन नइये। हजारो हाथीमन ला दांत के सेती मार डरथे। फेर सरकस म वोकर बिना मरजी के काम लेथन। ये सब ल देख के हाथीमन ल लगथे कि अब मनखे हमर संगवारी नइ, दुसमन हे। तेकरे सेती वोमन हिंसक होगे। कठलहा कहिस- ये कइसे ठीक होही? बाबूजी बोलिस- हमन ल जतका हो सके पेड़ लगाय बर चाही। वन्य जीव जंतु के संरक्छन, सुरक्छा करे बर हे। जंगल के बचाय बर चाही। जंगल बाचही तभे हाथीमन पहिली जइसे सांत रइहीं।