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खेती-किसानी बर अकती के बड़ महत्तम हे

locationरायपुरPublished: May 10, 2021 05:00:43 pm

Submitted by:

Gulal Verma

परब बिसेस

खेती-किसानी बर अकती के बड़ महत्तम हे

खेती-किसानी बर अकती के बड़ महत्तम हे

छत्तीसगढ़ के सांस्करीतिक धरोहर हे ‘अकती तिहार’ ह। अकती यानी ‘अक्छय तिरितिया’। ऐला ‘आखा तीज’ घलो कहिथें। उदारता ह हमर लोक संस्करीति के अधार आय। ए परब ह मालिक-नौकर यानी कमइय्या के संबंध ल मजबूत घलो करथे। मालिक के घर रोजी-मंजूरी के काम धरई अउ छोड़ई इही दिन ले होथे। बरसभर कमइय्या काम करथे अउ अकती म छोड़थे। कमइय्या बर जम्मो नवा बूता अउ नवा बिहान हो जथे। मया के डोर टूट जाथे अउ कमइय्या नवा काम धरे के आस म ठाकुर के दुआर ल छोड़ देथे। कमइय्या अउ ठाकुर के ए बंधना बर न लेखा राहय, न जोखा। कतकोन नौकरमन जुन्ना मालिक घर फेर काम धर लेथें, त कतकोन नौकरमन नवा मालिक खोज लेथें।
किसानी के हक बर अकती के अड़बड़ महत्ता हे। गांव-गंवई म ए दिन ठाकुर देव ल मानथें अउ कोनो गांव गंवतरी नइ जांय। जब तक ठाकुरदेव म दोना नइ चघही तब तक पानी तको नइ भरंय। खेत म धान बगराय जाथे। घर के साफ-सफई करे जाथे। हर गांव म धान के भोग लगाय जाथे अउ भोग लगे धान ल ‘अकती बिजहा’ के रूप म सुरक्छित रखे जाथे। ऐकर बगैर फसल बुआई ल अपसगुन माने जाथे। बोआई के दिन भोग लगे धान ल खेत म छिंच देथें। हमर संस्करीति म चारठिन स्वयंसिद्ध मुहूरत माने जाथे। चइत सुक्ल परतिपदा, अक्छत तिरितिया, रामनवमीं अउ दीप परब। अक्ती ह बुधवार के दिन परथे अउ रोहिनी नछत्र रहिथे त वोला सबले उत्तम तिथि माने जाथे। ये दिन बिना बिचारे ही ‘अकती लगिन’ मान लेथे।
अकती के महत्तम
अकती के दिन पानी गिरई ल सुभ मानथें। कती पानी देय ले पीतर तरपन के काम पूरा होथे। कमइया के काम धरई ल ‘चोंगी-माखुर’ झोंकई कहिथें। सुक्खा माटी के ढेला ल रखके बारिस कइसे होही, तेकर सोच-बिचार करथें। कोठी के तरी चारठन माठी के ढेला रखथें। वोकर उप्पर पानी भरे करसी रखथें। करसी ले पानी ह माटी के ढेला उप्पर टपकथे। सबो ढेला ल भींग जथे त बने पानी बरसही, अइसे माने जाथे। जउन दिसा के ढेला सूक्खा रहि जथे त वो दिसा म पानी नइ गिरय या कमती गिरथे, अइसे माने जाथे। कहिथें के माता अन्नपूरना के जनम ह आज के दिन होइस हे। दुरपति ल चीरहरन ले भगवान किरिस्न ह आज के दिन ही बचाय रहिस। कुबेर ल आज के दिन ही खजाना मिले रहिस। सतजुग अउ त्रेताजुग के सुरुआत आज के दिन होय रहिस।
भगवान बदरीनारायन के कपाट ल आज के दिन ही खोले जाथे। परसुराम के अवतार घलो इही दिन होय रहिस।
वोकरे पाय के आज के दिन ल परसुराम जयंती के रूप म मनाय जाथे।
– आज के दिन भगवान बिसनु अउ लछमी के घलो पूजा करे जाथे। ऐकर पूजा करे ले बिसेस लाभ मिलथे।
– एक अउ बात पौरानिक कथा के मुताबिक आज के दिन महाभारत युद्ध के अंत होय रहिस अउ दुवापर जुग के समापन घलो होइस हे।
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