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महामारी आइस त कतकोन के असली चेहरा आगू आगिस

locationरायपुरPublished: May 17, 2021 04:16:35 pm

Submitted by:

Gulal Verma

का- कहिबे

महामारी आइस त कतकोन के असली चेहरा आगू आगिस

महामारी आइस त कतकोन के असली चेहरा आगू आगिस

बस एक ‘परलय’ के परकोप भर देखे बर नइ मिले हे, नइते आजकाल बहुत कुछ देखे-सुने बर मिलत हे। अउ तो अउ कोरोना के महामारी के आपदा ल सुवारथी लोगनमन अवसर समझ के मुनाफाखोरी, कालाबाजारी, कमीसनखोरी करत हें। अइसे लागथे के गरीब होवई ह जुरूम होगे हे अउ बीमार होवई ह पाप। अब ये दुनिया कोन डहर जावत हे, ऐकर तो पता नइ। फेर, ककादाई ह रोज बिहनिया अंगना-परछी ल बाहरत-बटोरत ‘सुवारथी, मतलबी, लालची, मानवता के दुस्मन’ मनखेमन ल बखानत रहिथे।
अइसे तो कोरोना के किसम-किसम के रंग देखाय के संगे-संग लोगनमन घलो अपन ‘रंग’ देखावत हें। ‘आपदा ल अवसर’ बनाय के उलटा मतलब निकालत हें। गरीब-मजबूरमन के लहू पीके अपन तिजोरी भरत हें। आजकाल जादाझन मनखेमन अपन मरजाद (मरयादा) ल छोड़त दिखई देथें। कहावत हे- ‘एकठिन मछरी ह तरिया ल गंदा कर देथे।’ वोइसने मरयादाहीन, चरित्रहीन मनखे ह पूरा परिवार अउ समाज ल गंदा कर देथे।
धरम के मायने होथे- ‘इंसानियत, मानवता, सच्चाई, ईमानदारी, मरयादा, सज्जनता, उच्च चरित्र, वफादारी। चरित्रहीन मनखे ले दुनिया म घटिया-नीच अउ कोनो नइ हो सकय। सबले बडक़ा सुवाल तो इही हे के- जेकर चरित्र नइये, वोहा इंसान कइसे कहा सकथे। वोला तो जानवर, चिरई-चिरगुन घलो नइ कहे जा सकय, काबर के चिरई-चिरगुन, जानवरमन घलो अपन-अपन मरयादा म रहिथें। सबो अपन मरयादा म रहिथें, तभे दुनिया चलथे। वरना जब-जब मरयादा भंग होथे, तब-तब ‘परलय’ आथे। अपन आस-परोस, गांव-समाज म देख लव। जेन मनखे ह अपन मरयादा छोड़थे, वोकर घर-परिवार टूट जथे।
महामारी म तो नेतामन घलो अपन जिम्मेदारी, मरयादा ल भूला गे हें। लागथे जइसे वोमन जनता ल मरे बर छोड़ दे हें। बस, पक्छ-बिपक्छ के नेतामन एक-दूसर के मुड़ी के चुंदी ल खीेंचत नजर आथें। एक कोती कतकोन मनखेमन अपन जिनगी ल दांव म लगा के दूसर के भलई करत हें, जान बचावत हें। जेवन, दवई, ऑक्सीजन, एम्बुलेंस, पइसा देकर मदद करत हें। दूसर डहर अइसन मुनाफाखोरमन के कमी नइये जउनमन महामारी के फायदा उठावत हें। अजी, जब मुसीबत के समे म जनता किस्मत के, भगवान के भरोसे रहि गे त फेर, सरकारमन के होवई, नइ होवई बरोबर हे। हद तो ये होगे हे कि अदालत ह जब फटकार लगाथे त सरकारमन जनता डहर धियान देथें।
जब कोरोना महामारी म रोज्जेच सैकड़ों लोगनमन सरग सिधारत हें। तभो ले सरकारमन एक-दूसर ल नीचा दिखाय म लगे हें। जमाखोर, मुनाफाखोर, कालाबाजारी करइयामन ल जेल म नइ डारत हें, त अउ का-कहिबे।

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