अमलतास के रूख ल खच्चित देखे होहू। ऐहा जादा करके सडक़ के तीर म लगे रहिथे। ऐमा पिंवरा-पिंवरा फूल होथे। ऐकर फूल ल घर के सजावट म परयोग म लाय जाथे। ऐकर अलावा ऐकर फूल ल बढिय़ा घाम म सूखा के ऐकर खुला बना लेथे। फेर, बारहों महीना गरम पानी म फूल ल भीगो के साग रांधे जा सकथे। ऐकर साग ह पाचन तंत्र, स्वसन तंत्र, जोड़ के दरद बर बड़ फायदेमंद होथे। अमलतास के कतकोन औसधि गुन हावय जेन ल हमन ल जानना जरूरी हे। आयुरवेद के मुताबिक अमलतास के इस्तेमाल से बुखार, पेट के बेमारी, खाज-खजरी, खांसी, टीबी अउ हिरदय रोग आदि म लाभ लिये जा सकत हे। कई जुन्ना ग्रन्थ म अमलतास के विवरन मिलथे । ऐकर रूख पहाड़ म अपन मालाकार सुवर्न फूल से सोभा बढ़ाथे। मार्च-अप्रैल म रूख के पत्तीमन झड़ जाथे। ऐकर बाद नवा पत्ती अउ पीला रंग के फूल संग ही निकलथे। वोकर बाद फली लगथे। फली लंबा, कत्था रंग के, गोल अउ नोक्कू होथे अउ पूरा सालभर लटकत रहिथे। ऐकर फली ल भालू ह बड़ा चाव से खाथे। जेकर सेती ये पेड़ के फली ल भलमूसरी के नाव से जानथे। वनांचल म ऐकर पेड़ ह भलमूसरी के पेड़ के नाव से जियादा परसिद्ध हे। अमलतास के फायदा : पेट के रोग म अमलतास बड़ फायदेमंद हावय। पेट के रोग म अमलतास के 2-3 पत्ती म नून अउ मिरची ल मिला लेवय। ऐला खाए ले पेट साफ होथे अउ बेमारी ठीक हो जथे। अमलतास के फर के 10 ले 20 ग्राम गूदा ल रात म 500 मिली पानी म भीगा देवय। ऐला बिहनिया मसलके छानके पीए ले पेट साफ हो जथे अउ पेट के गंदगी बाहर निकल जथे। बुखार म घलो अमलतास फायदेमंद: अमलतास फर के गूदा ल पिप्पली की जर, हरीतकी, कुटकी व मोथा के संग बराबर भाग म मिला लेवय। ऐकर काढ़ा बना के पीए ले बुखार म बड़ फायदा होथे। दमा या स्वासनतंत्र बिकार ल ठीक करे बर अमलतास फर के गूदा ल काढ़ा बना लेवय। ऐला पिये ले सांस के बेमारी म अड़बड़ लाभ होथे। अमलतास के पत्ता ल गाय के दूध के साथ पीस के लेप लगाय से नवजात के देह के फोड़ा फुंंसी दूर हो जाथे। कफ के सेती जब टान्सिल बढ़ जाथे तब अमलतास के पानी पीये ले आराम मिलथे । टान्सिल म जब दरद होथे, तब 10 ग्राम अमलतास के जड़ के छाल ल थोकन जल म पकाना चाही। ऐला बूंद-बूंद करके मुंह म डाले ले टान्सिल म आराम मिलथे।