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नानपन के बिहाव

locationरायपुरPublished: Jun 21, 2021 03:52:48 pm

Submitted by:

Gulal Verma

नानकीन किस्सा

नानपन के बिहाव

नानपन के बिहाव

परसु अपन बेटा सरवन के बिहाव करे बर लुकलुकाए हवय। उज्जर धोती अउ नवा पनही पहिरे, मुड़ म पागा बांधे, पान खा के अवइया-जवइया मनखेमन ल बतावत रहय, आज आन गांव जावत हंव अपन लइका बर गोसइन खोजे बर। बहू आही त घर केजतन-पानी बने होही। मोर डोकरी ह खेती-किसानी के काम करई म दंदर जथे। वोकर गोठ ल सुनके सरवन कहिथे- ददा नानकुन म मोर बिहाव झन कर। अभु तो दसवीं पढ़ंत हंव। मोला कालेज तक पढ़े बर हे। नौकरी करे बर हे। तैं बिसाहू के बेटा बिरजू के हाल नइ देखत हस। का होगा हे बपुरा के। वोकर ददा वोकर सौला बछर म वोकर बिहाव कर दिस। पढ़-लिखके कुछु बने के वोकर सपना रिहिस। फेर वोकर ददा टेडग़ा के टेडग़ा। अब घर म नाती-नतनीन चाही। आज लइका घलो हो गे। दाई-ददा तो मगन होगे, फेर अब जम्मो जिम्मेदारी, काम-बूता बिरजू के मुड़ म आ गे।
गरीबी म फंसे बिरजू ह अब गौंटिया के घर नौकर लगे हे। लइका के घेरी-बेरी बीमार परई के सेती चिंता म दिन-रात बूडे रहिथे। ऊपर ले गौटिंया ह वोला छुट्टी तको नइ दय। लइका ल अस्पताल लेगे बर घलो छुट्टी नइ दिस। बिरजू ह अपन किस्मत ल दोस देवत नांगर धरके खेत चल देथे। खेत जोतत मुंधियार होगे। बेरा बूड़े वोकर ददा बिसाहू ह हाथ म कंडिल धरे खेत पहुंचिस। बिरजू ल देखके के कहिथे- बेटा मोर नाती अब दुनिया म नइ रिहिस। दूनों एक-दूसर ल पोटार ल रोय लगिस। घर लहुटत बिसाहू कहिथे- बिरजू तो नानपन म बिहाव करके बहुत बड़े पाप कर डरेंव रे। हो सके तो मोला छिपा करते देबे बेटा। बिरजू कहिस- तैं नदानी करे त करे ददा, फेर अब कोनो अपन लइका के नानपन म बिहाव झन करय। नानपन म बिहाव करे से दुख आथे, बीमार आथे, गरीबी आथे। जिनगी के सपना पूरा नइ होवय।

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